Salaried job: भारत में रोजगार के क्षेत्र में 1999 से 2019-2020 के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि इन बीस सालों में सरकारी नौकरियों में 20 फीसदी की कमी आई है। हिदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1999 में पब्लिक सेक्टर में प्रमुख रूप से नौकरी देने वाली इकाई रेलवे, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और डिफेंस थी। लोगों का झुकाव भी इन सेक्टरों में देखा गया।
इन तीनों सेक्टरों में कुल नौकरीपेशा लोगों का हिस्सा एक तिहाई था। हालांकि आगे इस आंकड़े में लगातार गिरावट देखने को मिली और 2019-20 तक आते-आते यह आंकड़ा कुल नौकरियों का 11 फीसदी हो गया।
पब्लिक सेक्टर में रोजगार की गिरावट को समझें तो 1999 में रेलवे में इसकी तीन फीसदी हिस्सा रहा जोकि 2020 तक एक प्रतिशत हो गया और दो फीसदी की गिरावट देखी गई। वहीं पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और डिफेंस के क्षेत्र में 1999 में रोजगार 26 फीसदी रहा जोकि 2020 तक 11 फीसदी हो गया। इसमें 15 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। इसके अलावा मेन्यूफेक्चरिंग सेक्टर में भी 1999 से 2020 तक एक फीसदी की गिरावट आई है।
हालांकि सर्विस सेक्टर में ग्रोथ जरूर देखने को मिली है। जहां 1999 में सर्विस सेक्टर में रोजगार का आंकड़ा 37 फीसदी रहा तो वहीं 2020 में यह 55 फीसदी हो गया।
प्राइवेट सेक्टर के तेजी से हुए विकास के कई दशकों के बाद भी पब्लिक सेक्टर की नौकरी पाने का आकर्षण बना हुआ है। इसके लिए लोग नौकरी के प्रति सुरक्षा, एक स्थिर वेतन और कई अन्य लाभ देखते हैं। ऐसे में लोगों का झुकाव प्राइवेट सेक्टर से अधिक पब्लिक सेक्टर की नौकरियों में ज्यादा देखने को मिला है।
वहीं 2020 तक आधे से अधिक रोजगार सर्विस सेक्टर से है। वहीं एक तिहाई नौकरियां मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से हैं। प्राइवेट सेक्टर द्वारा नौकरियों में बढ़ोतरी के बाद भी पब्लिक सेक्टर की नौकरियों के प्रति लोगों का झुकाव देखा गया है। इसका प्रमुख कारण सुरक्षा और अन्य लाभ हैं। 2020 में, पब्लिक सेक्टर के चार वेतनभोगी कर्मचारियों में से तीन को भविष्य निधि योगदान, ग्रेच्युटी और स्वास्थ्य बीमा सहित कम से कम एक लाभ के पात्र थे।वहीं रेलवे और पब्लिक सेक्टर में लगभग 66 प्रतिशत और 42 प्रतिशत कर्मचारियों को तीनों लाभ मिलते हैं।