‘जय श्री राम’ के नारे पर जारी बवाल के बीच मशहूर बांग्ला अभिनेत्री अपर्णा सेन ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि वह इस नारे का विरोध करके अपनी कब्र खुद ही खोद रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने राजनीति में धर्म और राष्ट्रवाद के साथ हिंदुत्व के इस्तेमाल पर भी चिंता व्यक्त की।

टीएमसी और बीजेपी में ‘जय श्री राम’ के नारे को लेकर जारी खींचतान पर न्यूज चैनल एनडीटीवी से बातचीत में अपर्णा सेन ने यह बयान दिया। उन्होने कहा ‘मुझे यह बिल्कुल पसंद नहीं आया। राजनीति और धर्म को अलग-अलग रखना चाहिए। जब हम राजनीति और धर्म को एकसाथ लेकर चलते हैं तो समस्याएं सिर्फ शुरू होती हैं।’

उन्होंने आगे कहा ‘भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां के लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। अगर वे लोग जय श्री राम, अल्लाह हू अकबर और जय मां काली का नारा लगाते हैं तो आप उन्हें रोक नहीं सकते। सबसे बड़ी समस्या इन नारों पर ममता की प्रतिक्रियाएं हैं।’

बता दें कि बीते दिनों मुख्यमंत्री ममता के काफिले के सामने ही कुछ लोगों ने ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया तो वह भड़क उठी थीं। ममता का काफिला उत्तरी 24 परगना जिले के संकटग्रस्त भाटपारा से गुजर रहा था तभी कुछ लोगों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाना शुरू कर दिया। यह सुनकर सीएम अपनी कार से बाहर निकल आईं और नारा लगाने वालों के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही।

इस पर बांग्ला अभिनेत्री ने कहा ‘मुझे यह बिल्कुल सही नहीं लगा कि हमारी मुख्यमंत्री कार से निकलकर नारे लगाने वालों को रोक रही थीं और इस दौरान वह उनके खिलाफ अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल कर रही थीं। उन्हें इस तरह का बर्ताव नहीं करना चाहिए था। ममता बड़े बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई हैं और उन्होंने राज्य में कई अच्छे काम भी किए हैं।’

लंबे समय तक सीएम रहना है तो बदलना होगा आचरण: अपर्णा सेन ने कहा कि अगर उन्हें लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रहना है तो अपने आचरण में बदलाव लाना होगा। उन्हें अपने भाषणों और गुस्से पर कंट्रोल करना होगा। उन्हें कुछ भी बोलने से पहले सोचना होगा। वहीं पीएम मोदी की कार्यप्रणाली पर उन्होंने कहा कि पीएम को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह सिर्फ हिंदूओं के ही नहीं बल्कि ईसाई, मुस्लिम और दलितों के भी प्रधानमंत्री हैं।

गौरतलब है कि बीजेपी को पश्चिम बंगाल में 42 सीटों में से 18 सीटों पर जीत मिली है। जबकि टीएमसी ने 23 सीटों पर जीत हासिल की है। आंकड़ों से साफ है कि 2021 में पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुकाबला जोरदार होगा। बीजेपी का पूरा फोकस राज्य में सत्ता हासिल करने पर है।