उत्तर प्रदेश और देश के दलितों को भारतीय जनता पार्टी से जोड़ने में लगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों पर दयाशंकर सिंह के बयान ने पानी फेर दिया। दयाशंकर के बयान के बाद उत्तर प्रदेश में गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी ने विरोध प्रदर्शन कर लोकसभा चुनाव में खोए अपने जनाधार को समेटने की कोशिश की। साथ ही भाजपा को दलित विरोधी करार देकर पार्टी के नेताओं ने राज्य के दलितों के बीच पैठ बनाने में जुटी भाजपा को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

दरअसल, सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 में से अपने सहयोगी अपना दल के साथ 73 सीटें जीत कर भाजपा ने बहुजन समाज पार्टी के पारंपरिक कहे जाने वाले दलित वोट बैंक पर कब्जा जमा लिया था। इसी की वजह से लोकसभा चुनाव में बसपा बिना खाता खोले ही मैदान से बाहर हो गई थी। इस जीत के बाद दलितों के बीच अपनी पैठ गहरी करने के लिए सक्रिय हुए नरेंद्र मोदी ने लगातार मतदाताओं की इस बिरादरी के दिल में पुरजोर जगह बनाने का कोई अवसर नहीं गंवाया। उसी का नजीता रहा कि इसी साल 22 जनवरी को चार घंटे के लिए लखनऊ आए प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा का अधिकांश समय डा आंबेडकर से जुड़े कार्यक्रमों पर खर्च किया।

इसी यात्रा के दौरान वे डा भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए, जहां उन्होंने रोहित वेमुला के निधन पर शोक जताया। उस दौरान उनकी आंखें नम भी हुर्इं। साथ ही उसी शाम वे विधानभवन के सामने आंबेडकर महासभा भी गए, जहां उन्होंने डा भीमराव आंबेडकर को श्रद्धासुमन अर्पित किए। ऐसा कर नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले दलितों के दिलों में भाजपा के लिए गहरी जड़ें जमाने की कोशिशें करते नजर आए थे।

प्रधानमंत्री की इस यात्रा के पहले छह दिसंबर को भी भाजपा ने प्रदेश भर की दलित बस्तियों में जाकर दलितों का सुख-दुख बांटने का दृश्य समाज के समक्ष प्रस्तुत करने की कोशिश की। ताकि वे दलित बस्तियों में एक दिन गुजार कर उन्हें अपनेपन का अहसास करा सकें। इसी क्रम में पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बनारस में दलित भोज आयोजित किया, जिसमें दलितों के साथ बैठ कर उन्होंने भोजन किया। दलितों का दिल जीतने के लिए जल्द ही आगरा में धम्म जागरण यात्रा का आयोजन भाजपा करने वाली है। ये सारे प्रयास यह संकेत देने के लिए थे कि पार्टी में दलितों को कितनी संदीजगी से लिया जा रहा है।

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीयअध्यक्ष अमित शाह ने दलितों के साथ पार्टी को जोड़ने के लिए एक नारा दिया है- बाबा आंबेडकर का आशीर्वाद, चलो चलें मोदी के साथ। लेकिन बहनजी के प्रति अशोभनीय शब्दों का प्रयोग करने के 24 घंटे बाद पार्टी से पद छीन कर निकाले गए भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर ने मोदी और अमित शाह के किए कराये पर पानी फेर दिया। इस बाबत वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राघवेंद्र त्रिपाठी कहते हैं, बात यहीं खत्म नहीं होती। दयाशंकर ने मंगलवार को मऊ में जब मीडिया से बात करते समय बहनजी के खिलाफ असंसदीय शब्द बोले, तो भाजपा का पूरा खेमा मौन साधे रहा। न पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को उनके बयान पर कार्रवाई की सुधि आई और न ही भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सक्रिय हुआ। बुधवार को मायावती ने राज्यसभा में जब दयाशंकर के बयान पर कड़ा विरोध दर्ज कराया, तो पार्टी आलाकमान नींद से जागा।