अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगा। इस संबंध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की बैठक हुई। बैठक के बाद जमीयत उलेमा ए हिंद के चीफ मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि “हम पहले से ही जानते हैं कि हमारी रिव्यू पिटीशन 100% खारिज होगी, लेकिन उसके बाद भी हम रिव्यू पिटीशन दाखिल करेंगे। यह हमारा अधिकार है।” ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में ये भी फैसला किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत मस्जिद के लिए मिलने वाली 5 एकड़ जमीन को भी बोर्ड द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा।

मुस्लिम बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने बैठक के बाद कहा कि ‘शरिया कानून के मुताबिक मस्जिद की जमीन अल्लाह की होती है और इसे किसी को भी नहीं दिया जा सकता।’ जिलानी ने कहा कि ‘बैठक में 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन भी नहीं लेने का फैसला किया गया है। बोर्ड का मानना है कि मस्जिद के लिए कोई वैकल्पिक जगह नहीं हो सकती।’

मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि ‘कोर्ट ने यह स्वीकार किया है कि मस्जिद में मूर्तियां रखी गई और मस्जिद को गिराया जाना भी अवैध है, लेकिन कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया, जो इसके लिए जिम्मेदार हैं।’ उल्लेखनीय है कि बीती 3 नवंबर को कई मुस्लिम संगठनों के शीर्ष पदाधिकारियों, मौलानाओं और समुदाय के बुद्धिजीवियों की अयोध्या मसले पर बैठक हुई थी, जिसमें इस बात पर सहमति बनी थी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए।

बता दें कि बीती 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर दिए अपने फैसले में पूरी 2.77 एकड़ विवादित भूमि रामलला को देने का फैसला दिया था। इसके लिए कोर्ट ने सरकार को तीन माह में ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण शुरु कराने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने अपने फैसले में मस्जिद के लिए वैकल्पिक स्थान पर 5 एकड़ भूमि दिए जाने के भी निर्देश दिए थे। यह 5 एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जानी है।