मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आइएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को ‘जनहित’ में ओएसडी (विशेष कार्याधिकारी) के रूप में दिल्ली में पदास्थापित करने का अनुरोध किया है। मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संजीव चतुर्वेदी को ओएसडी बनाए जाने का आग्रह केजरीवाल पहले भी कर चुके हैं।

अपने पत्र में अरविंद केजरीवाल ने लिखा है कि केंद्र द्वारा उनका आग्रह खारिज किए जाने से वह आश्चर्य चकित हैं, ऐसा आज तक नहीं हुआ कि किसी मंत्री या मुख्यमंत्री ने कोई अफसर अपने निजी स्टाफ के लिए मांगा हो और वो ना मिला हो। उन्होंने अपने पत्र में फिर से आग्रह किया है, ह्यकेंद्र ने इस अधिकारी की सेवाओं का कभी उचित ढंग से उपयोग नहीं किया, दिल्ली की जनता के हित के लिए चतुर्वेदी को सीएम के ओएसडी के तौर पर भेजने की मांग पर विचार करें।

कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने हाल ही में चतुर्वेदी के उत्तराखंड से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार में अंतरकैडर प्रतिनियुक्ति के प्रस्ताव को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि उन्होंने तीन साल की अनिवार्य उपशमन अवधि को पूरा नहीं किया है। हालांकि केजरीवाल ने अपने पत्र में चतुर्वेदी को इस आधार पर ओएसडी नियुक्त किए जाने पर जोर दिया है कि डीओपीटी के निर्देशों के अनुसार उपशमन अवधि के मानदंड से उस अधिकारी को छूट दी जा सकती है जो ह्यनिजी स्टाफह्ण के रूप में नियुक्त किया जाना है।

तीन जुलाई को पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में केजरीवाल ने कहा है, ह्ययह हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापित परंपरा रही है कि जब भी सरकार के किसी मुख्यमंत्री या मंत्री को किसी अधिकारी की निजी स्टाफ के रूप में जरूरत होती है तो राजनीतिक मतभेदों को दूर रखते हुए उसे प्रतिनियुक्त किया जाता है। हालांकि, मैं यह जानकर आश्चर्य चकित हूं कि 16 महीनों की असामान्य देरी जिसमें माननीय अदालत के चार निर्देश शामिल हैं, के बाद, एसीसी ने आखिरकार अनुरोध ठुकरा दिया।ह्ण मुख्यमंत्री ने पिछले साल फरवरी में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर चतुर्वेदी को अपना ओएसडी नियुक्त करने की मांग की थी।

चतुर्वेदी को 2014 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद से हटा दिया गया था। इसे लेकर केंद्र सरकार और उनका खासा विवाद भी हुआ था। सेवा में शामिल होने के बाद चतुर्वेदी को हरियाणा कैडर आवंटित किया गया था। हालांकि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से कैडर बदलने का अनुरोध किया था। एसीसी ने अगस्त 2015 में चतुर्वेदी को हरियाणा से उत्तराखंड के लिए अंतर कैडर स्थानांतरण को मंजूरी दी थी। वैसे इस साल फरवरी में उत्तराखंड सरकार ने अंतर कैडर प्रतिनियुक्ति के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगने का चतुर्वेदी का ज्ञापन खारिज कर दिया और कहा, ‘अगर भारत सरकार उपशमन अवधि की शर्त की छूट देती है तो उत्तराखंड को अंतर कैडर प्रतिनियुक्ति में कोई आपत्ति नहीं होगी।’ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एसीसी को जानकारी दी थी कि चतुर्वेदी ने अब तक अपने नए मूल कैडर उत्तराखंड में सेवाएं नहीं दी हैं।