कुतुबमीनार कांप्लेक्स के भीतर मौजूद मुगल मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति के लिए दिल्ली वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी। बोर्ड की गुहार थी कि याचिका पर जल्दी फैसला किया जाए। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई की जो तारीख दी वो रमजान खत्म होने के बाद की है।
खास बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट को हिदायत दी थी कि वक्फ बोर्ड की उस याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई करके फैसला दिया जाए जिसमें उसने कहा था कि केंद्र ने बगैर कोई आदेश जारी किए मुगल मस्जिद में नमाज अदा करने पर जबरन रोक लगा दी।
मुगल मस्जिद को केंद्र सरकार मानती है संरक्षित इमारत
दिल्ली हाईकोर्ट में वक्फ बोर्ड ने याचिका दायर करके कहा था कि रमजान का महीना उनके लिए बेहद पवित्र होता है। केंद्र सरकार ने कुतुब मीनार कांप्लेक्स के भीतर मौजूद मस्जिद में नमाज अदा करने पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार इसे संरक्षित इमारत मानती है। जबकि ऐसा नहीं है। वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई कि उसकी याचिका पर जल्दी फैसला दिया जाए।
22 या 23 अप्रैल को खत्म हो जाएगा रमजान, सुनवाई 27 को
हाईकोर्ट ने दलील को सुना और फिर 27 अप्रैल की तारीफ सुनवाई के लिए तय कर दी। रोचक तथ्य ये है कि रमजान का आखिरी रोजा 22 या 23 अप्रैल को होने की उम्मीद है। उसके बाद चांद रात होगी। यानि किसी भी सूरत में दिल्ली वक्फ बोर्ड मुगल मस्जिद में नमाज अदा नहीं कर पाएगा। हालांकि बोर्ड के वकील ने हाईकोर्ट के सामने ये दलील दी कि 27 अप्रैल को सुनवाई से उन्हें कोई फायदा नहीं होगा। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट अपनी बात पर डटा रहा। इससे पहले की तारीख देने से इनकार कर दिया।
मुगल मस्जिद में पिछले साल मई से बंद है नमाज
मुगल मस्जिद में नमाज अदा करने से मुस्लिम पक्ष को पिछले साल मई में रोक दिया गया था। दिल्ली वक्फ बोर्ड का कहना था कि केंद्र सरकार ने जबरन ऐसा किया। दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर एक याचिका भी दायर की गई थी। मनमाफिक सुनवाई न होने पर वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। लेकिन सुनवाई के दौरान जजों ने वक्फ बोर्ड से जब ये पूछा कि मुगल मस्जिद में नमाज अदा करने से रोकने का कोई आदेश था? वक्फ बोर्ड का जवाब था नहीं। पुलिस ने जबरन उन्हें वहां जाने से रोक दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने उसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट से कहा था कि वो वक्फ बोर्ड की याचिका पर जल्दी सुनवाई कर मामले को निपटाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर वक्फ बोर्ड ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की अदालत में याचिकाएं दायर कीं। इनमें मस्जिद के भीतर नमाज अदा करने की अनुमति के साथ मांग की गई थी कि रमजान के पवित्र महीने को देखते हुए हाईकोर्ट जल्दी फैसला देकर वहां नमाज पढ़ने की अनुमति दे। वक्फ बोर्ड का कहना था कि मुगल मस्जिद में फिलहाल नमाज पढ़ने नहीं दी जा रही।
हाईकोर्ट ने पहले वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई के लिए मई के शुरुआती दिनों में सुनवाई करने को कहा था। बोर्ड के वकील एम सूफियान सिद्दकी की अपील पर सुनवाई की तारीख 27 अप्रैल कर दी। हालांकि सिद्दकी ने हाईकोर्ट से फिर कहा कि तब तक रमजान खत्म हो जाएगा। लेकिन जस्टिस ओहरी ने उनकी दलील को खारिज कर दिया।