लोकसभा चुनाव जीतने के बाद देशभर में सीएए-एनआरसी लागू करने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी नागरिकता संशोधन कानूनों पर हो रहे प्रदर्शनों के बाद घिरती नजर आ रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रविवार को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सीएए के समर्थन में रैली करने पहुंचे थे। यहां उन्होंने अपने पूरे भाषण के दौरान एनआरसी का जिक्र नहीं किया, जबकि 2019 में बंगाल में अपनी कई रैलियों के दौरान शाह ने राज्य में एनआरसी लागू करने की बात कही थी।
शाह ने सीएए विधेयक संसद में पास होने से दो महीने पहले (1 अक्टूबर 2019) कोलकाता में ही रैली की थी। यहां उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार पहले राज्यसभा में सीएए बिल पास कराएगी, उसके बाद पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू करेगी। उन्होंने कहा था, “देश में एनआरसी लाने से पहले संसद में सीएबी पास कराया जाएगा। हम सभी रिफ्यूजियों को नागरिकता अधिकार देंगे। हिंदू, बौद्धों, सिखों, जैनों और इसाइयों को कभी जबरदस्ती देश से नहीं निकाला जा सकेगा। बिल पास होने के बाद रिफ्यूजियों को आपके और हमारे जैसे अधिकार मिलेंगे। दीदी कहती हैं कि वे एनआरसी नहीं लागू होने देंगी, लेकिन हम सभी अवैध घुसपैठियों को देश से निकाल देंगे।”
इस रैली के 5 महीने बाद कोलकाता में ही शाह ने ‘हम अन्याय नहीं सहेंगे’ अभियान की शुरुआत की। इसमें उन्होंने ममता बनर्जी, सपा, बसपा और लेफ्ट पार्टियों पर कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और सीएए का विरोध करने के लिए निशाना साधा। लेकिन एनआरसी पर बात नहीं की। शाह ने कहा कि ममता ने सीएए के खिलाफ लोगों को भड़काया है। कोलकाता में ‘हम अन्याय नहीं सहेंगे’ अभियान की शुरुआत करते हुए रविवार को उन्होंने कहा- ममता दीदी ने कांग्रेस, सपा, बसपा, वामपंथियों के साथ मिलकर राम मंदिर का विरोध किया। ममता ने अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ अल्पसंख्यकों को भड़काया।
सीएए-एनआरसी पर आक्रामक रवैये को बदलने में जुटी भाजपा: अमित शाह की कोलकाता रैली के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा सीएए और एनआरसी पर अपने आक्रामक रवैये को बदल रही है, जहां 2019 में शाह खुद रैलियों के दौरान कहते थे कि कोई भी ताकत देश में एनआरसी होने से नहीं रोक पाएगी, वहीं रविवार की रैली में उन्होंने एनआरसी का जिक्र तक नहीं किया। नागरिकता संशोधन कानून पास होने के बाद उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में हिंसा के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि एनआरसी पर अभी उनकी पार्टी में कोई चर्चा नहीं हो रही। जबकि बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष और अमित शाह कई रैलियों में एनआरसी लागू करने की बात कह चुके थे।
एनआरसी पर रक्षा मंत्री भी नहीं कर रहे बातः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी 1 दिसंबर को झारखंड के बोकारो में रैली के दौरान कहा था कि एनआरसी पूरे देश में लागू होगा। हर किसी को अपने घर में छिपे अवैध अप्रवासियों के बारे में जानने का अधिकार है। यही बातें राजनाथ ने अगले कई हफ्ते कहीं। 28 जनवरी को मंगलुरू में एक रैली के दौरान कहा था कि क्या परेशानी होगी अगर देश में एनआरसी लागू होता है तो? हालांकि, इसके बाद से ही उन्होंने एनआरसी पर कोई बयान नहीं दिया। 30 जनवरी को दिल्ली की रैली में उन्होंने सीएए पर जोर देते हुए कहा, “मैं अपने मुस्लिम भाइयों को बताना चाहता हूं कि चाहे आप हमें वोट दें या नहीं, लेकिन हमारे इरादों पर शक न करें। आपको कोई भी नहीं छू सकता। नागरिकता लेना तो दूर की बात है।”
एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास कराने में आगे रही भाजपाः जहां एक तरफ भाजपा के अधिकतर नेता रैलियों में एनआरसी के जिक्र से या तो बच रहे हैं या फिर इसकी योजना का खुलासा नहीं कर रहे हैं। वहीं, भाजपा विधायकों ने हाल ही में बिहार विधानसभा में एनआरसी के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग की। यानी एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास कराया।
एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के परभनी जिले की सेलु नगरपालिका ने भी सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास किया। गौरतलब है कि इस प्रस्ताव का किसी ने भी विरोध नहीं किया। अध्यक्ष विनोद बोराडे ने बताया कि सभी स्थानीय प्रतिनिधियों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।