समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी के किसान आंदोलन को लेकर दिए बयान पर पलटवार किया है। किसान नेताओं को आंदोलनजीवी कहे जाने पर उन्होंने कहा कि जो नेता घर- घर जाकर चंदा ले रहे हैं, क्या वे चंदाजीवी संगठन के सदस्य नहीं हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि राष्ट्र ने आंदोलन के जरिए स्वतंत्रता प्राप्त की। महिलाओं को आंदोलन के माध्यम से मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ। महात्मा गांधी राष्ट्र पिता बने, क्योंकि उन्होंने अफ्रीका, देश और विश्व में आंदोलन किया। अखिलेश यादव ने कहा कि आंदोलन के बारे में कहा जा रहा है कि किसान नेता आंदोलनजीवी हैं। उन लोगों को क्या कहना चाहिए जो दान लेने के लिए बाहर जाते हैं। क्या वे चंदाजीवी संगठन के सदस्य नहीं हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि कल संसद में कहा गया कि एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसपी रहेगा। यह सिर्फ बयानों में है, जमीन पर नहीं। किसानों को यह मिल रहा होता तो वो दिल्ली की सीमा पर आंदोलन नहीं कर रहे होते। वह आंदोलनकारी किसानों को बधाई देते हैं कि उन्होंने पूरे देश के किसानों को जागरूक किया है।
What is being said about the agitations? That people are 'aandolan jivi'. What should I call the people who go out to collect donations? Are they not members of 'chanda jivi sangathan'?: Samajwadi Party MP Akhilesh Yadav, in Lok Sabha https://t.co/cFDICT0C4X
— ANI (@ANI) February 9, 2021
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार कह रही है कि कानून किसानों के लिए हैं, लेकिन किसान स्वीकार नहीं कर रहे हैं तो इन्हें वापस क्यों नहीं लिया जा रहा। अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि ऐसे आरोप हैं कि सरकार ने कॉरपोरेट्स के लिए कारपेट बिछाया है।
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के तहत हुई चर्चा का जवाब दिया था। पीएम ने विपक्ष पर कई बार तंज कसे। उन्होंने कहा कि हम लोग कुछ शब्दों से परिचित हैं। श्रमजीवी, बुद्धिजीवी, ये सारे शब्दों से परिचित हैं, लेकिन मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हो गई है और वो है आंदोलनजीवी।
उनका कहना था कि ये जमात आप देखोगे कि वकीलों का आंदोलन है, वहां नजर आएंगे, स्टूडेंट का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे, मजदूरों का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे। कभी पर्दे के पीछे कभी पर्दे के आगे। ये पूरी टोली है जो आंदोलनजीवी है। वो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा। ये आंदोलनजीवी दरअसल परजीवी होते हैं।