विवादित धर्मगुरु जाकिर नाईक का एनजीओ, इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) राजीव गांधी चैरेटिबल ट्रस्ट (RGCT) को 50 नहीं बल्कि 75 लाख रुपए डोनेट करना चाहता था। लेकिन 25 लाख रुपए बीच में ही एक हॉस्पिटल में अटक गए और 50 लाख रुपए ही ट्रस्ट तक पहुंच पाए। इससे पहले गृह मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि आईआरएफ ने RGCT को 50 लाख रुपए का डोनेशन दिया था। जिस हॉस्पिटल के पास 25 लाख रुपए अटक गए उसका नाम MH Saboo Siddiqui Maternity and General Hospital है। मुंबई के उस हॉस्टिल को आईआरएफ ने 30 लाख रुपए दिए थे और कहा था कि 5 लाख वह अपने पास रखकर बाकी 25 लाख RGCT को भेज दें। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हॉस्पिटल ने सारा पैसा अपने ही इस्तेमाल में लगा लिया। यह बात एनआईए द्वारा आईआरएफ की कुछ जगहों पर तलाशी लेने के बाद सामने आई है।
82 साल पुराने उस हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ ए आर सुमार ने भी माना कि उन्हें 30 लाख रुपए मिले थे। उन्होंने यह भी बताया कि हॉस्पिटल की तरफ से ही 25 लाख रुपए आगे देने को मना करके उसे हॉस्पिटल के कामों में लगा लिया गया। वहीं उस डोनेशन के बारे में बात करते हुए आईआरएफ के प्रवक्ता ने कहा कि वे लोग हॉस्पिटल और बाकी संस्थानों की इस तरह की मदद करते रहते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि आईएस के लड़ाकों को आईआरएफ द्वारा स्कॉलरशिप देने की बाद बेबुनियाद है।
RGCT को सोनिया गांधी, उनके बच्चे राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा द्वारा बनाया गया था। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी RGCT से जुड़े हैं। ये सभी लोग RGF के ट्रस्टी भी हैं। जाकिर नाईक द्वारा मिले फंड पर कांग्रेस का कहना है कि RGCT को 50 फंड मिला जरूर था लेकिन विवाद के बाद पैसे को लौटा भी दिया गया था।
गृह मंत्रालय के कुछ सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि आईआरएफ ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ शैक्षणिक ट्रस्टों को भी पैसा दिया था। इसमें सिरसा के चौधरी देवी लाल मेमोरियल टेक्निकल एजुकेशन ट्रस्ट का नाम शामिल है। उसे 2.5 करोड़ रुपए डोनेशन दी गई थी। इसके अलावा मेरठ के एक मैनेजमेंट स्टडीज एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपए दिए गए थे।
एनआईए का आरोप है कि हैदराबाद में रहने वाले आईएस के अबु अनस को स्कॉलरशिप के लिए आईआरएफ ने 1.5 लाख रुपए दिए थे। गृह मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार अनस को पहले 70 और फिर 80 हजार रुपए दिए गए।