सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में एक नई किताब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का विमोचन किया। यह किताब लेफ्टिनेंट जनरल (Retd.) केजेएस ढिल्लों ने लिखी है। यह किताब इस साल की शुरुआत में नियंत्रण रेखा के पार भारत के निर्णायक और बहु-आयामी सैन्य अभियान की कहानी बयां करती है। किताब के लॉन्च के दौरान जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह ऑपरेशन केवल 88 घंटे का नहीं था, जैसा आम तौर पर माना जाता है, बल्कि यह एक गहराई से सोच-समझकर और कई स्तरों पर चलाया गया अभियान था।

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, “आप सोच रहे होंगे कि युद्ध 10 मई को खत्म हो गया था, नहीं। यह लंबे समय तक चला क्योंकि बहुत सारे फैसले लेने थे। इससे आगे कुछ भी शेयर करना मेरे लिए मुश्किल होगा। इसलिए कब शुरू करना है, कब रोकना है, समय, स्थान और संसाधनों के संदर्भ में कितना लागू करना है और कैलिब्रेटेड की परिभाषा क्या है, ये सभी चीजें ऐसी हैं जिन पर हम हर समय चर्चा करते रहे। क्योंकि इस बार, कोई मिसाल नहीं थी। हालांकि, मैंने 22 और 23 अप्रैल को कई पूर्व सैनिकों से बात की। उनमें से कई ने कई शानदार विकल्प पेश किए। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान भारतीय सेना एक लयबद्ध लहर की तरह आगे बढ़ी। सभी लोग तालमेल में थे और अपने आदेशों को जानते थे।”

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एलओसी पर घुसपैठ की कोशिशें जारी

जनरल द्विवेदी ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के एलओसी पर पड़ने वाले प्रभाव पर अभी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी, क्योंकि इसे खत्म हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है। क्या राज्य प्रायोजित आतंकवाद खत्म हो गया है? मुझे नहीं लगता, क्योंकि एलओसी पर घुसपैठ की कोशिशें अभी भी जारी हैं और हम सब जानते हैं कि कितने आतंकवादी मारे गए हैं और कितने बच निकले हैं।”

भारत ने चलाया था ऑपरेशन सिंदूर

बता दें 7 मई की सुबह भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। सशस्त्र बलों ने 22 अप्रैल को हुए घातक पहलगाम हमले के जवाब में पाकिस्तान और पीओके में कई आतंकी ढांचों को ध्वस्त कर दिया। पाकिस्तान की तरफ से भी भारत पर ड्रोन दागे गए लेकिन भारत ने सभी को हवा में ही मार गिराया। 10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ की तरफ से फोन करने के बाद भारत ने सैन्य कार्रवाई रोक दी गई।

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