हम जीवन भर यही कोशिश करते रहते हैं कि हमसे कोई दुखी या नाराज न हो जाए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम सभी को एक साथ खुश रख भी सकते हैं या नहीं? इस सवाल का सही जवाब हम सभी जानते हैं और वह है कि हम सभी को एक साथ खुश नहीं रख सकते हैं। इसके बाद भी हमारा अधिकतर समय दूसरे लोगों को खुश रखने में ही निकल जाता है। हम इसी प्रयास में लगे रहते हैं कि लोग हमारे बारे में गलत न सोचें। इसलिए अधिकतर ऐसा होता है कि जो व्यक्ति सभी को खुश रखना चाहता है, अंत में किसी को भी खुश नहीं रख पाता है। इसलिए दूसरों को खुश रखने का प्रयास करने से बेहतर है कि हम खुद खुश रहें।
इसके अलावा हमारे जीवन का एक बड़ा हिस्सा इस सोच में ही निकल जाता है कि हमारे परिवार वाले, रिश्तेदार, दोस्त, पड़ोसी आदि क्या कहेंगे? हम कुछ भी करने के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले हमारे समाने सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि अन्य लोग क्या कहेंगे? बच्चे का दाखिला करना हो, नई गाड़ी लेनी हो या घर में खाली बैठने पर भी सबसे पहले यही सोचा जाता है कि और लोग क्या कहेंगे? लेकिन यह सिर्फ हमारे मन का वहम होता है कि वे क्या कहेंगे, दरअसल हर किसी की जिंदगी में कुछ न कुछ हो ही रहा होता है। इसलिए किसी के पास इतना समय नहीं है कि औरों के बारे में सोचें। इसलिए बिना किसी सवाल के मस्त होकर जीवन जीएं।