सुप्रीम कोर्ट प्रशासन अदालत के डिप्टी रजिस्ट्रार (शोध) पद से इस्तीफा देने वाले डॉक्टर अनूप सुरेंद्रनाथ के खिलाफ कार्रवाई करने पर वचार कर रहा है। शुक्रवार को इस्तीफा देने वाले सुरेंद्रनाथ ने याकूब मेमन मामले में आए फैसले पर नाखुशी जताई थी। उन्होंने अपने इस्तीफे में कहा था कि वे अपने शोध कार्य को पूरा करना चाहते हैं। लेकिन फेसबुक पर अपने पोस्ट में सुरेंद्रनाथ ने याकूब मेमन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई है।
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन को लगता है कि डेथ पेनाल्टी रिसर्च प्रोजेक्ट में शामिल होते हुए भी यह सुरेंद्रनाथ की ओर से किया गया यह घोर दुर्व्यवहार है। वे इस प्रोजेक्ट के निदेशक भी हैं। याकूब मामले में वो सह याचिकाकर्ता भी थे। उन पर परियोजना की शर्तों के उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई की जा सकती है।
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) में पढ़ाने वाले सुरेंद्रनाथ करीब एक साल पहले प्रतिनियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट आए थे।
सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों ने बिना किसी इजाजत के सुरेंद्रनाथ के याकूब मामले में शामिल होने को गंभीरता से लिया है, क्योंकि नियमों के मुताबिक निजी हैसियत से वे कोई मुकदमा नहीं लड़ सकते हैं, जब तक कि मामला उनकी सेवा शर्तों से न जुड़ा हो।
सूत्रों ने बताया कि सुरेंद्रनाथ को एक अधिकारी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के समेकित कोष से भुगतान किया जा रहा था और वे इसके नियमों के मुताबिक काम करने के लिए बाध्य थे। अदालत के रजिस्ट्रार ने सुरेंद्रनाथ के अनुचित व्यवहार को सामने लाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उनकी मातृ संस्था एनएलयू को जल्द ही एक पत्र लिखने का फैसला किया है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल वीएसआर अवधानी ने उन खबरों का खंडन किया कि सुरेंद्रनाथ ने याकूब मेमन की फांसी के विरोध में इस्तीफा दिया है। अवधानी ने एक बयान में कहा, ‘यह न केवल गलत है बल्कि भ्रामक भी है।’ बयान में कहा गया है कि सुरेंद्रनाथ प्रतिनियुक्ति पर थे और उनके अनुरोध पर उन्हें एनएलयू वापस भेज दिया गया है। इस बयान के साथ सुरेंद्रनाथ का इस्तीफा भी दिया हुआ है। इसमें उन्होंने कहा है कि वह अपने शोध कार्य और अन्य परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनएलयू लौटना चाहते हैं।