दिल्ली में जारी महिला पहलवानों के आंदोलन ने अब बीजेपी को परेशान करना शुरू कर दिया है। जिस आंदोलन पर पहले पार्टी चुप्पी साधे बैठी थी, अब उसे भी लगने लगा है कि मामला ज्यादा बिगड़ गया है, राष्ट्रीय हो गया है, और सबसे बड़ी चिंता- महिला सुरक्षा से इसका सीधा कनेक्शन बैठ गया है।
बीजेपी के लिए परेशानी का सबब
अब इस बदलते माहौल से बीजेपी भी परेशान है, उसे भी लगने लगा है कि इस मामले को बेहतर तरह से संभाला जा सकता था। वैसे उस दिशा में कदम तो जरूर बढ़ाया गया है, गृह मंत्री अमित शाह ने जिस तरह से पहलवानों से मुलाकात की, जिस तरह से उन्हें आश्वासन दिया गया, स्थिति को सुधारने की कोशिश जरूर हुई है। अब ये कोशिश कितनी रंग लाई, अभी कहा नहीं जा सकता, लेकिन इतना स्पष्ट है कि ये मुद्दा धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय भी बन सकता है।
अमेरिका दौरा, पीएम उठाएंगे बड़ा कदम?
इस बात को बीजेपी बखूबी समझ रही है, ऐसे में पूरी कोशिश है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से पहले इस मामले को सुलझा लिया जाए, या फिर उस स्थिति पर तो इसे जरूर लाया जाए जिससे विवाद ठंडा पड़ सके। जानकारी के लिए बता दें कि पीएम मोदी 21 से 24 जून के लिए अमेरिका दौरे पर जाने वाले हैं। वो दौरा भारत के लिए काफी अहम है, कई करार हो सकते हैं, ऐसे में किसी भी तरह के विवाद से दूर रहने की जरूरत है। इस समय पार्टी दो धड़ों में बंटी नजर आ रही है, एक ब्रजभूषण के खिलाफ खड़ा है तो दूसरा अभी समर्थन में है, लेकिन एक बात से पूरी पार्टी सहमत है- इस विवाद से बड़ा नुकसान हुआ है, छवि धूमिल हुई है।
पार्टी ने माना- गलती हो गई!
बीजेपी के चार नेताओं ने तो इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए इस बात को माना है कि स्थिति को और बेहतर तरीके से हैंडल किया जा सकता था, इसे इतना आगे नहीं बढ़ने देना था। बीजेपी सांसद मेनका गांधी, प्रतिम मुंडे तो पब्लिक में कह चुके हैं कि पहलवानों को न्याय मिलना चाहिए। वैसे इस पूरे विवाद का एक और एंगल है जिसे पार्टी अब समझने लगी है।
असल में ये सिर्फ पहलवानों का धरना नहीं है, ये महिला पहलवानों का धरना है। 2014 के बाद से बीजेपी को महिला वोटर का अच्छा समर्थन मिला है, उज्जवला जैसी योजनाओं ने बीजेपी को काफी लोकप्रिय कर दिया है। लेकिन उस बीच इस आंदोलन ने पार्टी के मन में एक डर डाल दिया है। इस बारे में एक बीजेपी नेता ने कहा है कि कोई कारण नहीं था कि इस विवाद को इतना आगे तक बढ़ाया जाए। लेकिन ये मानना पड़ेगा कि ऐसा नहीं सोचा गया था कि आंदोलन अचानक से इतना तेज हो जाएगा। अब तो इस आंदोलन को महिलाओं के मुद्दों के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
2024 का चुनाव, विपक्ष एकजुट, क्या करेगी बीजेपी?
वैसे पार्टी एक बात और मानने लगी है, इस आंदोलन की वजह से विपक्ष एकजुट हो रहा है। जिस तरह से पहले किसान आंदोलन के वक्त विपक्षी एकता देखने को मिली थी और सरकार पर दबाव पड़ा था, अब इस पहलवानों के आंदोलन में भी वहीं विपक्षी एकता सामने आ रही है। इसका जिक्र भी पार्टी नेता करने लगे हैं, यानी कि चुनौतियां सामने खड़ी हैं, 2024 का चुनाव पास है और आंदोलन अभी तक जारी है, पार्टी आगे क्या कदम उठाती है, इस पर सभी की नजर रहेगी।