उर्दू भाषा को प्रमोट करने के लिए सरकार द्वारा द्वारा एक एजेंसी का गठन किया गया था। इस एजेंसी द्वारा उर्दू भाषा को प्रमोट करने के लिए सालाना वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस का गठन किया जाता है। अब खबर है कि इस साल यह कॉन्फ्रेंस संशोधित नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के चलते कैंसिल कर दी गई है। आरोप लगाया जा रहा है कि केन्द्र सरकार के दबाव के चलते यह कॉन्फ्रेंस रद्द की गई है।
बता दें कि नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज (NCPUL) द्वारा तीन दिवसीय ‘Linguistic and Literary Relations of Urdu with Indian & Foreign Languages/Literatures’ नामक वर्ल्ड उर्दू कॉन्फ्रेंस का आयोजन 26 फरवरी से लेकर 28 फरवरी तक नई दिल्ली में होना था।
इस कार्यक्रम के लिए करीब 100 उर्दू शैक्षणिक लोगों और लेखकों को आमंत्रण भेजा गया था। इसमें 15 विभिन्न देशों के मेहमान भी आने वाले थे। हालांकि अब यह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। बताया गया है कि कुछ दिन बाद इस कार्यक्रम का आयोजन होगा और जल्द ही इसकी नई तारीखों की सूचना दे दी जाएगी।
द टेलीग्राफ की एक खबर के अनुसार, उर्दू कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किए गए लोगों ने बताया कि उन्हें पता चला है कि केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अनौपचारिक रूप से उर्दू काउंसिल को कार्यक्रम को रद्द करने के निर्देश दिए हैं।
वहीं एक अन्य लेखक ने कहा कि “सरकार का NCPUL पर उर्दू कॉन्फ्रेंस कैंसिल करने के लिए दबाव बनाना, काउंसिल के अंदरूनी मामलों में दखल है, जबकि NCPUL एक स्वायत्त निकाय है।”
हालांकि NCPUL के निदेशक ने सरकार की तरफ से कोई दबाव होने की बात से इंकार किया है। निदेशक का कहना है कि कॉन्फ्रेंस में आने वाले कई विदेशी मेहमानों को वीजा नहीं मिल सका था। यही वजह है कि उन्होंने सरकार से कार्यक्रम को फिलहाल रद्द करने की विनती की थी।
इसके अलावा कुछ मेहमानों ने कोरनो वायरस को लेकर भी चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि यह एक अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जबकि CAA एक अंदरूनी मामला है। ऐसे में सीएए का मुद्दा यहां उठाने का कोई कारण नहीं है।