भारतीय नौसेना के मरीन कमांडो ने एक सफल आपरेशन में लाइबेरिया के झंडे वाले समुद्री जहाज को अपहरण से बचा लिया। एमवी लीला नारफाक नाम के इस समुद्री जहाज में चालक दल के 21 सदस्यों में से 15 भारतीय थे। हालांकि आपरेशन के दौरान वहां अपहरणकर्ता नहीं मिले लेकिन मरीन कमांडो उन्हें अभी भी तलाश रहे हैं। उत्तरी अरब सागर में भारतीय नौसेना के इस आपरेशन की दुनियाभर में खासी चर्चा है। कहा जा रहा है कि भारत ने पहली बार एक बड़े आपरेशन के जरिये अरब सागर में अपनी रणनीतिक अहमियत का अहसास कराया है। इसे अरब सागर में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का एलान भी माना जा रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा दौर में जब लाल सागर में समुद्री जहाजों के अपहरण बढ़ रहे हैं और अमेरिकी नौसेना हूती विद्रोहियों से जूझने में लगी है तब अरब सागर में भारतीय नौसेना के इस आपरेशन की अहमियत काफी बढ़ गई है। आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में मैरीटाइम पालिसी इनिशिएटिव के प्रमुख अभिजीत सिंह ने बताया कि हाल की घटनाओं से ऐसा लगता है दस्यु विरोधी अभियान में लगे नौसेना बलों का पूरा ध्यान अदन की खाड़ी से लाल सागर की ओर आ गया है और इसका फायदा उठा कर समुद्री दस्युओं ने अरब सागर में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी है।
भारत के लिए अरब सागर की अहमियत
अरब सागर हिंद महासागर का उत्तर पश्चिमी इलाका है। ये पश्चिम में अरब प्रायद्वीप और पूरब में भारतीय उप महाद्वीप के बीच स्थित है। ये लाल सागर को ओमान की खाड़ी से जोड़ता है। अरब सागर की सीमा यमन,ओमान,पाकिस्तान, ईरान, भारत और मालदीव को छूती है। अरब सागर एक ऐसा समुद्री क्षेत्र है जो कई अहम शिपिंग लेन और बंदरगाहों को जोड़ता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए ये एक अहम रास्ता बन जाता है।
अरब सागर तेल और प्राकृतिक गैस का भी बड़ा भंडार और इस क्षेत्र में ऊर्जा का अहम संसाधन भी है। अरब सागर में ईरान, भारत और अमेरिका के नौसैनिक आपरेशन चलते हैं और यहां उनके कई नौसैनिक अड्डे भी हैं। इसलिए क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए अरब सागर भारत के लिए अहम समुद्री इलाका है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर अफ्रीका और मध्यपूर्व के देशों से लेकर एशियाई देशों के श्रम बाजारों और निर्माण उद्योग के लिए अरब सागर में स्थिरता बेहद जरूरी है। इसलिए वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका बड़ी है।
अरब सागर से सटे देशों को भारत का संदेश
पिछले कुछ समय में हिंद महासागर और अरब सागर से लगे कई छोटे देशों का चीन की ओर झुकाव बढ़ता दिखा है। विश्लेषकों का कहना है कि भारत की ये कार्रवाई इन देशों के लिए एक संदेश है। जेएनयू के एसोसिएट प्रोफेसर अरविंद येलेरी कहते हैं कि अरब सागर और हिंद महासागर के तट से सटे चीन की ओर झुकाव वाले जिन छोटे देशों को लग रहा है कि भारत यहां मनमानी कर रहा है उनको भी एक संदेश दिया गया है।
वो कहते हैं, भारत ने इस कार्रवाई के जरिये ये साफ संदेश दिया है कि आप चाहे जो कहें लेकिन यहां के समुद्री रास्तों और संचार को वही नियंत्रित करता है। लिहाजा जरूरत पड़ने पर मदद के लिए भारत को ही बुलाना होगा। चीन दौड़ कर नहीं आने वाला। इस कार्रवाई के जरिये भारत ने इस संदेश को एक बार फिर दोहराया है।
दरअसल, अरब सागर भारत के क्षेत्रीय या विशेष क्षेत्र से सटा हुआ है। यहां चीन की नौसेना नहीं आ सकती है और न रुक सकती है। वो यहां लंबे समय तक आपरेशन भी नहीं चला सकती है। अरविंद येलेरी के मुताबिक लंबे समय के आपरेशन से लेकर नौकाओं और तटरक्षक बलों की आवाजाही,नाविकों की बदलने से जुड़ी गतिविधियां भारत ही कर सकता है। ये उसी का अधिकार है। चीन ये काम यहां नहीं कर सकता।
भारतीय नौसेना की मजबूती
विश्लेषकों का कहना है कि ये कार्रवाई भारतीय नौसेना की ताकत और क्षमता का भी सुबूत है। जाने-माने सामरिक विशेषज्ञ और सेंटर फार पालिसी स्टडीज डायरेक्टर सी उदय भास्कर कहते हैं कि अरब सागर में सोमालिया तट पर भारतीय कमांडों की कार्रवाई ने भारतीय नौसेना की विश्वसनीयता और क्षमता पर मुहर लगाई है। भारत अब नहीं तो कब कार्रवाई करता। क्योंकि भारत ने नौसेना को मजबूत करने के लिए बड़ा निवेश किया है।
भारत ने इस कार्रवाई के जरिये ये साफ संदेश दिया है कि आप चाहे जो कहें लेकिन यहां के समुद्री रास्तों और संचार को वही नियंत्रित करता है। लिहाजा जरूरत पड़ने पर मदद के लिए भारत को ही बुलाना होगा। चीन दौड़ कर नहीं आने वाला। इस कार्रवाई के जरिये भारत ने इस संदेश को एक बार फिर दोहराया है।
- अरविंद येलेरी, एसोसिएट प्रोफेसर जेएनयू
पिछले दस साल में भारत ने नौसेना और तटरक्षक बलों को मजबूत किया है। अरब सागर में सोमालिया तट पर भारतीय मरीन कमांडों की कार्रवाई में यह साफ दिखाई दे रहा है। साथ ही भारतीय नौसेना ने अपनी ताकत और विश्वसनीयता को दुनिया के सामने एक बार फिर साबित किया है। यह कार्रवाई नौसेना को ताकत देगी।
उदय भास्कर, सामरिक विशेषज्ञ
