मुंबई की मशहूर हाजी अली दरगाह में महिलाओं को जाने की इजाजत मुंबई हाईकोर्ट से मिल गई है, लेकिन मुस्लिम महिलाएं अब भी दरगाह में मजार वाले हिस्से तक जाने से कतरा रही हैं। महिलाएं अपने संकोच के पीछे धार्मिक कारण बताते हुए कोर्ट को भी इस मामले में दखल ना देने की सलाह दे रही हैं। मुंबई हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद जब इंडियन एक्स्प्रेस ने दरगाह पर जाकर महिलाओं से इस बारे में बात की तो हैरान कर देने वाली बातें सामने आईं। वहां मौजूद शबाना कादरी जो कि मध्यप्रदेश से आईं थीं उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को अंदर नहीं जाने दिया जाना चाहिए। हमारी पवित्र किताबों में ऐसा करने से मना किया गया है। यह एक दिव्य संदेश है। इसके साथ खेल नहीं होना चाहिए।’

मुंबई के महीम में रहने वाली राहत जो कि 50 साल की हैं उन्होंने कहा, ‘मैं महीने में कम से कम एक बार दरगाह जरूर आती हूं। शरिया में जैसे महिलाओं को कब्रिस्तान के अंदर ना जाने के लिए कहा गया है। वैसे ही यहां आने के लिए भी मनाही है। मैं नहीं जानती कि महिलाओं को अंदर जाने की इजाजत क्यों दी जा रही है।’

शौकत बीबी जो कि अपने पति और बच्चे के साथ दरगाह पर थीं उन्होंने कहा, ‘किसी भी पीर की दरगाह को पवित्र होना चाहिए। महिलाएं कभी कभी अपवित्र होती हैं।’ इसके अलावा भी वहां मौजूद कई महिलाओं ने इस आदेश को गलत बताया।

हाजी अली दरगाह में महिलाओं के जाने का रास्‍ता शुक्रवार (26 अगस्त) को मुंबई हाईकोर्ट के आदेश के बाद खुला। साल 2011 तक सभी महिलाओं को दरगाह के अंदर जाने की अनुमति थी लेकिन साल 2012 में इस पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, हाजी अली दरगाह प्रशासन का कहना है कि इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। इसके चलते छह सप्‍ताह तक इस आदेश पर कार्रवाई नहीं हो पाएगी।

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