मीडिया में महिलाओं को एक ‘वस्तु’ के रूप में पेश किए जाने की आलोचना करते हुए केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्व-नियमन की जरूरत बताते हुए आज हितधारकों से आग्रह किया कि वे अपनी ‘पसंद की स्वतंत्रता’ का उपयोग विवेक के साथ करें।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने यहां विश्व हिन्दू सम्मेलन में कहा, ‘‘आप कुछ विषयों को बढ़ावा दे रहे हैं, कुछ तरह की कहानी और महिलाओं का चित्रण, जिसमें उसे एक वस्तु, एक पायदान के रूप में पेश किया जाता है, और आप बहुत सहज होकर उसे देखते हैं, आंसू बहाते हैं… जैसे ही सरकार हस्तक्षेप का प्रयास करती है, शिकायत शुरू हो जाती है ‘ओह, मॉरल पोलिसिंग’ ।’’

चिपको आंदोलन जैसी गतिविधियों और राजनीति में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए मंत्री ने कहा, ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जिनसे बताया जा सकता है कि महिला की क्या सकारात्मक भूमिका हो सकती है।

इसके लिए उन्होंने दर्शकों की मानसिकता बदलने की भी जरूरत बताई। उन्होंने कहा, ‘‘हम दिखावा नहीं करें। यह सच है कि इसके लिए (महिलाओं को वस्तु के रूप में पेश करने) दर्शक हैं। मैं नहीं कह रही कि इसका मतलब यह है कि इसे चलने देना चाहिए। लेकिन अगर हम लगातार सरकार से शिकायत कर रहे हैं कि वह क्या कर रही है तो एक मिनट के लिए मैं पूछना चाहूंगी कि हम उनके लिए क्या कर रहे हैं जो इन्हें देख रहे हैं।’’

सीतारमण ने कहा, ‘‘सरकार आगे आएगी, लेकिन जब तक हम ‘पसंद की स्वतंत्रता’ में विश्वास रखते हैं, मैं समझती हूं कि सरकार से कहीं ज्यादा यह हम लोगों के लिए है कि हम ‘पसंद की स्वतंत्रता’ का उपयोग कुछ विवेक और संस्कार के साथ करें।’’