हमारी सनातन संस्कृति में नारी शक्ति को सर्वोच्च माना गया है और वे समाज को प्रगतिशील बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारतीय परंपरा में स्त्री सदैव प्रथम और पूजनीय रही है। नारी को शक्ति, ममता, और त्याग का प्रतीक माना गया है। सभी के लिए दृष्टिकोण, उनका ममता और सेवा का भाव, उनकी सहनशक्ति और हर स्थिति के प्रति उनका दृष्टिकोण, इस सबसे महिलाओं को केवल एक दिन नहीं, हर दिन सम्मान मिलना चाहिए।
आज जब पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रही है, राजस्थान महिला समानता और सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में, राजस्थान सरकार ने राज्य में महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। राजस्थान सरकार द्वारा शुरू की गई ‘लाडो प्रोत्साहन योजना’ के तहत गरीब परिवारों में लड़कियों के जन्म पर एक लाख रुपए के बांड दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मासिक मानदेय में दस फीसद की वृद्धि की गई है, जबकि ‘प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना’ के तहत दी जाने वाली सहायता को पांच हजार रुपए से बढ़ाकर साढ़े छह रुपए कर दिया गया है। राजस्थान के पांच लाख स्वयं सहायता समूहों को ‘राज सखी’ पोर्टल के जरिए जोड़ा जा रहा है।
महिला सशक्तीकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमुख पहलू इसका वित्तीय प्रावधान है। 2025-26 के बजट में महिलाओं और लड़कियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक कल्याण पर विशेष ध्यान देते हुए पर्याप्त धनराशि आबंटित की गई है। 2025-26 के बजट में प्रदेश में चार नए देवनारायण बालिका आवासीय विद्यालय, सोलह नए सावित्री बाई फुले छात्रावास, सत्रह नए महाविद्यालय स्तरीय बालिका छात्रावास, वंचित वर्गों, महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए संचालित समस्त राजकीय, अनुदानित और निजी आवासीय संस्थानों में मेस के भत्ते को बढ़ाकर 3,250 रुपए प्रति माह किया गया है।
इसके साथ ही सभी संभागीय मुख्यालयों पर पचास बेड के ‘सरस्वती हाफवे होम्स’ की स्थापना, दस जिला मुख्यालयों पर ‘गर्ल चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट्स’ की स्थापना, प्रत्येक ब्लाक में एक उच्च माध्यमिक विद्यालय या महाविद्यालय में रानी लक्ष्मी बाई केंद्र की स्थापना, बालिकाओं को 35,000 स्कूटी वितरण योजना की घोषणा की गई है।
इसके साथ ही प्रदेश में लखपति दीदी योजना का लक्ष्य बढ़ाकर बीस लाख महिलाओं तक किया जा रहा है। राजस्थान महिला निधि क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी लिमिटेड को नान-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में उन्नत किया जाएगा। प्रदेश सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूह की सदस्यों के लिए एक लाख रुपए तक के ऋण पर ब्याज दर, 2.5 फीसद से घटाकर 1.5 फीसद कर दिया गया है। इस योजना के माध्यम से राजस्थान में तीन लाख लखपति दीदियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
राजस्थान सरकार ने गर्भवती महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण न्यूट्री-किट योजना लागू की है जिससे प्रदेश की लगभग 2.35 लाख महिलाओं को लाभ होगा। छोटे बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री अमृत आहार योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर सप्ताह में पांच दिन दूध उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना पर अलग से लगभग 200 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की लड़कियों के लिए नई छात्रवृत्तियां शुरू की गई हैं। यह पहल विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में युवा महिलाओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करने और पढ़ाई छोड़ने की दर को कम करने के उद्देश्य से की गई हैं।
राजस्थान में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। महिला थाना विस्तार, महिला पुलिसकर्मियों की बढ़ती तैनाती और महिलाओं को अपराधों की रपट करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएं लागू की गई हैं। राज्य में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ की घटनाओं की रोकथाम, बच्चियों और महिलाओं को भयमुक्त वातावरण प्रदान करने के लिए राज्य में 500 कालिका पेट्रोलिंग यूनिट के गठन का निर्णय लिया गया है। प्रथम चरण में 250 कालिका पेट्रोलिंग यूनिट के संचालन के लिए एक हजार कांस्टेबल के पद स्वीकृत किए गए हैं। महिलाओं को आपात स्थिति में चौबीस घंटे पुलिस सहायता प्रदान करने के लिए एक एप तथा आरएसआरटीसी के सुरक्षा कमांड सेंटर तथा पैनिक बटन परियोजना शुरू की गई है।
राज्य सरकार ने निर्भया फंड के तहत स्ट्रीट लाइटिंग, सीसीटीवी निगरानी और शहरी तथा अर्ध-शहरी क्षेत्रों में त्वरित प्रतिक्रिया दलों में निवेश किया है। ‘शक्ति रक्षक’ कार्यक्रम को भी मजबूत किया गया है, जिसमें युवा लड़कियों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे प्रतिकूल परिस्थितियों में स्वयं की रक्षा कर सकें। नीतियों में महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रमुख स्थान दिया गया है। नए बजट में मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, ताकि विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल मिल सके। ‘राजश्री योजना’ का विस्तार किया गया है, जिसके तहत बालिकाओं को विभिन्न शैक्षिक चरणों में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे परिवारों पर आर्थिक बोझ कम होता और स्वस्थ परवरिश सुनिश्चित होती है। इसके अलावा, स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में मुफ्त सेनेटरी नैपकिन वितरण कार्यक्रम के लिए धनराशि बढ़ाई गई है, जिससे किशोरियों में मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री कई बार सार्वजनिक मंचों से कह चुके हैं कि वे राजनीति एवं शासन में नए लोगों को लाना चाहते हैं। इसी कड़ी में राजस्थान सरकार जमीनी स्तर पर महिलाओं को नेतृत्व की स्थिति के लिए प्रोत्साहित कर रही है। पंचायती राज संस्थानों में पचास फीसद आरक्षण बनाए रखते हुए सरकार महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित कर रही है। इसके अलावा, राज्य प्रशासन महिलाओं की सरकारी नौकरियों और राजनीतिक पदों में भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और नेतृत्व पहल लागू कर रहा है। सरकार ने प्रदेश में महिला आरक्षण को लेकर संशोधन करते हुए पुलिस विभाग में भी सीधी भर्ती में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण का प्रावधान किया है। महिला सशक्तीकरण की एक महत्त्वपूर्ण पहचान उनकी निर्णय-निर्माण भूमिकाओं में बढ़ती भागीदारी है।
राज्य सरकार की महिला सशक्तीकरण के प्रति प्रतिबद्धता इसकी नीतियों, बजटीय आबंटनों और जमीनी स्तर की पहलों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और शासन में निवेश करके, राजस्थान एक मजबूत और सामाजिक समता की दिशा में प्रगति कर रहा है। वास्तविक सशक्तीकरण केवल नीतियों से नहीं होता, यह समाज, सरकार और व्यक्तियों के सामूहिक प्रयासों से संभव होता है, जो महिलाओं और लड़कियों को बिना किसी बंधन के फलने-फूलने का अवसर प्रदान करता है। इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर, राजस्थान सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के संकल्प को दोहराती है कि महिलाएं केवल सपने न देखें, बल्कि उन्हें पूरा भी करें और नेतृत्व करें।
(लेखक राजस्थान के मुख्यमंत्री)