हरिद्वार में मानो सावन के कृष्ण पक्ष के 15 दिन में गंगा की अविरल धारा के साथ मानव की श्रद्धा, आस्था और विश्वास की गंगा भी निरंतर बहती हुई नजर आई। हरिद्वार में चारों ओर आस्था और श्रद्धा के विभिन्न रंग दिखाई दिए जो जात-पात से दूर केवल भोले की भक्ति में ही लीन दिखाई दी। तन पर भगवे रंग के कपड़े कंधे में रंग-बिरंगे फूलों और कपड़ों से सजी हुई कांवड़ और उसे ला रहे कांवड़िए ही दिखाई दिए। वहीं, अब तक चार करोड़ कावड़िए 15 दिन में हरिद्वार की हरकी पैड़ी से गंगाजल लेकर अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए जो एक कीर्तिमान है।

पूरा हरिद्वार-ऋषिकेश-नीलकंठ- गंगोत्री का क्षेत्र शिवमय हो गया। इन कावड़ियों के रंग में उनकी सुरक्षा और अन्य नेताओं के इंतजाम में लगे जिला प्रशासन के अधिकारी और पुलिस वाले भी रंग गए थे। कावड़ियों को भोले के नाम से पुकार रहे थे । 2019 के बाद 2 साल तक कोरोना महामारी के कारण कांवड़ यात्रा बंद रही। 2022 में कावड़ यात्रा खोली गई तो कावड़िए अपने घरों से भोले के प्रति और श्रद्धा और आस्था लेकर हरिद्वार के गंगा तट की ओर निकल पड़े। इस बार, हरिद्वार के जिला प्रशासन और पुलिस ने आतंकवादियों और किसी भी महामारी से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम कर रखें थे।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कावड़ियों के चरण धोकर कावड़ मेले का शुभारंभ किया था। वही हरिद्वार के जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पुलिस उपमहानिरीक्षक डाक्टर योगेंद्र सिंह रावत ने हेलिकाप्टर से कावड़ियों के ऊपर पुष्प वर्षा की। हरिद्वार के कांवड़ बाजार में जहां मुसलिम भाई कावड़ियों के लिए लकड़ी और बांस की कावड़ बनाते हुए नजर आए वहीं दूसरी ओर हरिद्वार के उपनगर ज्वालापुर में मुसलिम समाज के प्रतिष्ठित लोगों ने कांवड़ियों के ऊपर पुष्प वर्षा की और उनके लिए खाने का लंगर चलाया।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज कहते हैं कि कांवड़ मेला हरिद्वार में जात-पात से ऊपर उठकर सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देकर चला गया जैसे गंगा ना हिंदू का न मुसलमान का और ना ही धर्म का भेद करती है। वह सभी के खेतों को सींचती हुई गंगासागर में मिल जाती है, इसी तरह कांवड़ मेला बिना किसी जात पात का भेद किए भोले की भक्ति की पावन धारा में बह गया।

हरिद्वार के जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय कहते हैं कि कांवड़ मेले का इंतजाम इस बार कुंभ की तरह किया गया था। इसमें यातायात व्यवस्था में पैदल कांवड़ यात्रियों के अलावा रोडवेज बस, भारी वाहन के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई थी। दुपहिया, चौपहिया, रोडवेज बस और भारी वाहनों के लिए अलग-अलग जगहों पर पार्किंग बनाई गई थी। जिस कारण इस बार पहली बार हरिद्वार से दिल्ली और देहरादून जाने वाले स्थानीय लोगों और बाहर के यात्रियों को कांवड़ मेले के 12 दिन तक जाम का सामना नहीं करना पड़ा।

इस बार कावड़ियों को नया हरिद्वार देखने को मिला। 2021 के कुंभ मेले में हरिद्वार में चार लाइन वाली सड़कें तथा फ्लाईओवर का जाल बिछाया गया था, इसलिए कावड़ियों को नई सड़क यातायात व्यवस्था से दो-चार होना पड़ा।हरिद्वार में चार लाइन सड़क व्यवस्था होने से कावड़िए इस बार हरिद्वार के ज्यादातर आवासीय क्षेत्रों में नहीं घुस पाए जिससेस्थानीय लोगों को काफी राहत महसूस हुई।

क्या कहना है प्रशासन का

हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और पुलिस उपमहानिरीक्षक योगेंद्र सिंह रावत का कहना है कि पुलिस प्रशासन कांवड़ मेला कराने में सफल रहा। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से आतंकवादी गतिविधियों को देखते हुए कांवड़ मेले के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए थे, उनका पूरी तरह पालन किया गया और कांवड़ मेले में 10 हजार पुलिस वालों के अलावा केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए अर्धसैनिक बलों, 40 वाहिनी पीएसी की कंपनी, रेलवे पुलिस बल, विशेष कमांडो दस्ते, आतंक निरोधी बल,बम निरोधक दस्ते, खोजी कुत्तों के विशेष प्रशिक्षित दस्ते, घुड़सवार पुलिस ,तैराक पुलिस, बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप के तैराक बल के जवान तैनात किए गए थे। तैराक पुलिस बल के जवानों ने डेढ़ सौ से ज्यादा कावड़ियों को डूबने से बचाया और मेले के दौरान खोए गए 500 से ज्यादा बड़े-बूढ़ों, महिलाओं को पुलिस वालों ने उनके परिजनों से मिलाया।

उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि पूरा कांवड़ मेला रुड़की से ऋषिकेश- नीलकंठ तक 60 किलोमीटर के क्षेत्र में बांटा गया था। पूरे मेला क्षेत्र में 38 पुलिस सर्किल बनाए गए थे। 400 सीसीटीवी और 50 ड्रोन कैमरे मेला क्षेत्र में लगाए गए थे। पूरा कांवड़ मेला 18 सुपर जोन 48 जोन और 140 सेक्टरों में विभाजित किया गया था।