दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के एल्युमनी मेंबर्स ने वाइस चांसलर तलत अहमद को लेटर लिखकर मांग की है कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए न्योते को वापस लिया जाए। यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रों ने पत्र में लिखा है कि 2008 के बाटला हाउस एनकाउंटर के बारे में मोदी की टिप्पणी के मद्देनजर उन्हें कॉन्वोकेशन में नहीं बुलाया जाना चाहिए। अगर उन्हें बुलाना ही है तो पहले मोदी को 2008 के अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए।
जानकारी के मुताबिक, यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर अहमद की ओर से पीएम को न्योता भेजा गया है, लेकिन पीएमओ ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता मुकेश रंजन ने बताया कि प्रधानमंत्री को भेजा न्योता गया वापस नहीं लिया जाएगा। पीएमओ की तरफ से न्योता स्वीकार किए जाने के बाद यूनिवर्सिटी कार्यक्रम की तारीखों का एलान कर देगी।
जिन दो छात्रों ने मोदी को भेजे गया न्योता वापस लेने की मांग की है उनके नाम असद अशरफ और मेहताब आलम हैं। इन्होंने 50 पूर्व छात्रों का साइन किया हुआ पत्र वाइस चांसलर को भेजा है। लेटर में उन्होंने लिखा है कि 2008 में बाटला एनकाउंटर के बाद मोदी के संस्थान के संबंध में बयान को देखते हुए उन्हें नहीं बुलाया जाना चाहिए।
2008 में मोदी गुजरात के सीएम थे। तब दिल्ली के बाटला हाउस इलाके में आतंकियों के साथ एनकाउंटर हुआ था। इसमें एक पुलिस अफसर शहीद भी हुए थे। उस वक्त जामिया मिलिया के दो स्टूडेंट्स को भी अरेस्ट किया गया था। तब यूनिवर्सिटी के वीसी रहे मुशीरुल हसन ने दोनों को यूनिवर्सिटी की ओर से कानूनी मदद दिलाने की बात कही थी। इस पर मोदी ने गुजरात में कहा था कि सरकारी धन से चलने वाली यूनिवर्सिटी आतंकियों को जेल से बाहर लाने के लिए कानूनी मदद देने की बात कर रही है।
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