संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है। माना जा रहा है कि यह सत्र काफी हंगामेदार हो सकता है। विपक्ष कई मुद्दों पर चर्चा के लिए अड़ा हुआ है, वहीं सरकार बातचीत की बात तो कर रही है, लेकिन किसी भी तरह का अवरोध न करने की अपील भी करती दिखाई दे रही है।

जानकारी के लिए बता दें कि यह 18वीं लोकसभा का छठा सत्र है जो 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान 15 बैठकें होंगी और सरकार द्वारा 10 नए बिल पेश किए जाएंगे। बिहार चुनाव में एनडीए की जीत के बाद से ही यह सत्र और अधिक राजनीतिक रंग लेता दिख रहा है। वोट चोरी और SIR जैसे मुद्दे एक बार फिर प्रमुख रहने वाले हैं।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक विपक्ष इस सत्र में चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकता है। वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ चल रहे महाभियोग पर बनाई गई स्पेशल कमेटी भी इस सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है। इसके अलावा, दिल्ली में 10 नवंबर को हुए ब्लास्ट के मामले में भी सरकार पर सवाल उठ सकते हैं।

सत्र के दौरान पेश होने वाले 10 बिलों की प्रमुख सूची इस प्रकार है-

क्रमांकबिल का नाम
1एटॉमिक एनर्जी बिल
2हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल
3नेशनल हाईवे (अमेंडमेंट) बिल
4कॉर्पोरेट लॉ (अमेंडमेंट) बिल
5सिक्योरिटीज मार्केट कोड बिल (SMC)
6मैन्युफैक्चरर्स एंड सर्विस टैक्स (अमेंडमेंट) बिल
7कॉन्स्टिट्यूशन (131वां संशोधन) बिल
8रिपीलिंग एंड अमेंडमेंट बिल
9ऑर्बिट्रेशन एंड कंसिलिएशन (अमेंडमेंट) बिल
10इंश्योरेंस लॉ (अमेंडमेंट) बिल

वैसे रविवार को सर्वदलीय बैठक के बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठकें हुईं, जिनमें विपक्ष ने चुनाव सुधारों के व्यापक मुद्दे पर चर्चा की मांग रखी lR। सरकार ने विपक्ष को आश्वासन दिया कि वह जल्द ही इस पर अपनी राय बताएगी। सरकार ने वंदे मातरम की रचना की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा पर जोर दिया लेकिन कई विपक्षी दलों ने इसको लेकर उत्साह नहीं दिखाया।

विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा था कि वे चाहते हैं कि सोमवार दोपहर दो बजे एसआईआर पर चर्चा शुरू हो लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। विपक्षी दलों ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी रुकावट के लिए सरकार जिम्मेदार होगी।

अगर संसद के मानसून सत्र की बात करें तो वो 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चला था। उस दौरान कुल 21 बैठकें हुई थीं। लोकसभा में 120 घंटे की निर्धारित चर्चा में से केवल 35 घंटे की ही चर्चा हो पाई थी जबकि राज्यसभा में यह आंकड़ा 41 घंटे रहा। मानसून सत्र में लोकसभा में 12 और राज्यसभा में 15 बिल पास किए गए थे।

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