विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नौकरियों में अमेरिकी नागरिकों को वरीयता देने की ट्रंप प्रशासन की नीति के हवाले से भारतीय कामगारों को मिलने वाले एच1बी वीजा की संख्या में कटौती के खतरे को देखते हुये चिंता जतायी है। हालांकि उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में एच1बी वीजा की संख्या बढ़ी है। राज्यसभा में आज प्रश्नकाल के दौरान स्वराज ने एच1बी वीजा की संख्या में कटौती पर विपक्ष की चिंता से इत्तेफाक जताते हुये कहा कि यह सिर्फ सरकार और विपक्ष की नहीं, समूचे सदन की चिंता है। उच्च सदन में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा ‘‘हम इस मामले में व्हाइट हाउस और ‘कांग्रेस’ (अमेरिकी संसद) से बात कर रहे हैं।

इतना ही नहीं आगामी छह सितंबर को अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ होने वाली मंत्री स्तरीय वार्ता ‘टू प्लस टू’ में भी इस मुद्दे को उठायेंगे।’’ स्वराज ने कहा कि हालांकि पिछले चार सालों में एच1बी वीजा की संख्या में इजाफा हुआ है लेकिन फिर भी इसकी संख्या में कटौती का खतरा बना हुआ है। उन्होंने बताया कि साल 2014 में 1,08,817 एच1बी वीजा जारी हुये थे, अब यह संख्या बढ़कर 1.29 लाख हो गयी है। विदेश मंत्री ने कहा कि अप्रैल 2017 में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘अमरीकी खरीदो तथा अमरीकियों को काम दो’ शीर्षक वाले कार्यकारी आदेश में सभी विभागों से एच1बी वीजा कार्यक्रम में सुधार संबंधी सुझाव मांगे गये थे।

स्वराज ने कहा कि अभी यह प्रक्रिया चल रही है, फिलहाल कार्य वीजा कार्यक्रम में अब तक कोई बड़ा फेरबदल नहीं किया गया है। स्वराज ने कहा कि हाल ही में अमेरिकी सरकार द्वारा कार्य वीजा कार्यक्रमों में सख्ती से लागू करने के लिये कुछ कदम उठाये गये हैं। इनमें वीजा आवेदक पर यह साबित करने की जिम्मेदारी डाली गयी है कि लाभार्थी किसी विशेष रोजगार में किसी विशिष्ट कार्य के लिये किसी तीसरे पक्ष के कार्यस्थल में नियोजित है। उन्होंने कहा कि इन उपायों के कारण आवेदक को आवश्यक रूप से अतिरिक्त दस्तावेज जमा कराने होंगे।