बिहार विधानसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनाव में एनडीए के प्रत्याशियों को जीत मिली है। तरारी, रामगढ़, इमामगंज और बेलागंज विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए थे। अगले साल यानी 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इन चार सीटों के नतीजे क्या मायने रखते हैं, इस आर्टिकल में हम यही समझने का प्रयास करेंगे। इमामगंज से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) की दीपा कुमारी, बेलागंज से जनता दल-यूनाइटेड (JDU) की मनोरमा देवी, रामगढ़ से BJP के अशोक कुमार सिंह और तरारी सीट पर भाजपा प्रत्याशी विशाल प्रशांत ने जीत हासिल की है।

एनडीए के लिए कितना मायने रखती है यह जीत?

लोकसभा चुनाव में बिहार के नतीजे बीजेपी और उसके गठबंधन के लिए बहुत अच्छे नहीं रहे थे। ऐसे में विधासभा चुनाव से पहले यह उपचुनाव एक मिनी सेमीफाइनल की तरह देखे जा रहे थे।

किस सीट से किसने दर्ज की जीत?

रामगढ़ में BJP के अशोक कुमार की जीत हुई है। उन्होंने महज 1000 वोटों से बीएसपी प्रत्याशी सतीश कुमार को हराया। चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक, अशोक को 62,257 और सतीश को 60,895 वोट हासिल हुए। बेलागंज सीट पर जेडीयू की मनोरमा देवी की जीत हुई है। उन्होंने 21 हजार से ज्यादा वोटों से आरजेडी कैंडीडेट विश्वनाथ कुमार को हराया है।

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इमामगंज सीट पर HAM की दीपा कुमारी की जीत, 50 हजार से ज्यादा वोटों से आरजेडी कैंडीडेट को हराया। तरारी विधानसभा सीट पर बीजेपी के विशाल प्रशांत ने जीत दर्ज की है। उन्होंने 10 हजार से ज्यादा वोटों से CPI (ML) के राजू यादव को हराया है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, विशाल को 78,755 और राजू को 68,143 वोट हासिल हुए।

ऐसा माना जाता है कि बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेडीयू-बीजेपी गठबंधन के लिए यह जीत काफी बड़ी है। जातिगत सर्वे और हिन्दुत्व के मुद्दे पर काफी चर्चा के बीच हुए इस चुनाव में बीजेपी के लिए भी यह जीत काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। अब सवाल यह है कि उपचुनाव का कितना असर विधानसभा चुनाव पर पड़ता है। इसका एक बड़ा फायदा बीजेपी को यह मिलने वाला है कि वह अपने कार्यकर्ताओं को लामबंद और विधानसभा चुनाव में अपनी ज़मीन का विस्तार करने की ओर से ध्यान दे सकती है और पार्टी के कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास भी काफी बढ़ेगा।