इस साल ठंड छह सप्‍ताह की देरी से शुरु हुई हैं और इससे सभी हैरान हैं। अब जबकि सर्दी तेज हुई है तो उम्‍मीद जताई जा रही है कि यह लंबे समय तक रहेंगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब ठंड देरी से आती हैं तो वे लंबे समय तक रहती हैं। उनका कहना है कि इस साल फरवरी सामान्‍य से ज्‍यादा ठंडी रहेंगी। देश के अधिकांश हिस्‍सों में पूरा दिसंबर और जनवरी के दो सप्‍ताह में तापमान सामान्‍य से ज्‍यादा रहा। सर्दियों में होने वाली बारिश भी इस बार नहीं हुई।

इन कारणों से सर्दी रही गर्म
दिसंबर और जनवरी में सामान्‍य से ज्‍यादा गर्म तापमान के पीछे वैज्ञानिक दो कारणों को जिम्‍मेदार मानते हैं। पहला कारण, प्रशांत महासागर में बनने वाला अल नीनो इफेक्‍ट जो इस साल पिछले 60 सालों में सर्वाधिक है। दूसरा कारण, जेटस्‍ट्रीम और चक्रवातरोधी हवाओं की असामान्‍य स्थिति। साल के इस मौसम में ये हवाएं उत्‍तर में बह रही थी जिससे यूरोप से भारत की ओर आने वाली ठंडी हवाएं रूक गई। ये पछुआ हवाएं सर्दियों में उत्‍तरी और मध्‍य भारत की ओर बहा करती थी जिसके चलते सर्दी और बारिश होती थी।

अब क्‍या बदला
पिछले दो सप्‍ताह में अल नीनो की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। अल नीनो को वैसे तो मानसून से जोड़कर देखा जाता है लेकिन पुराने डाटा पर नजर डालने पर पता चलता है कि अल नीनो के चलते भारत में सर्दियां कमजोर रहती हैं। इस साल अल नीनो काफी लंबा और मजबूत रहा तो गर्म सर्दियों के लिए वैज्ञानिक इसे जिम्‍मेदार मान रहे हैं। लेकिन पिछले दो सप्‍ताह में जेट स्‍ट्रीम और चक्रवात रोधी हवाओं की स्थिति में बदलाव आया है। अब इन दोनों का तंत्र दक्षिण की ओर खिसक गया है जिससे पछुआ हवाएं भारत की ओर आ रही हैं। इसके चलते तापमान में जोरदार गिरावट देखने को मिल रही है। अधिकतम तापमान भी अब पंजाब, उत्‍तर प्रदेश, मध्‍य प्रदेश, झारखंड, असम और मेघालय में 5-8 डिग्री के बीच है। वहीं कुछेक जगहों पर सामान्‍य से दो चार डिग्री तक कम हैं। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि सर्दियों में तापमान ज्‍यादा रहा है। इससे पहले भी ऐसा हो चुका है।