Supreme Court News: अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट की जांच कर रही एसआईटी टीम को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि प्रोफेसर को दोबारा बुलाने की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं कोर्ट ने एसआईटी से सवाल करते हुए कहा कि वह जांच को गलत दिशा क्यों दे रही है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा कि जांच का दायरा प्रोफेसर के खिलाफ दर्ज दो एफआईआर तक सीमित है और अब वह विचाराधीन मामले के अलावा किसी भी विषय पर लिखने के लिए आजाद हैं। कोर्ट की तरफ से यह टिप्पणी वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की दलील के बाद की गई थी। सिब्बल ने कहा कि एसआईटी ने उनके डिवाइस सीज कर दिए हैं और पिछले दस सालों की उनकी विदेश यात्राओं के बारे में पूछताछ कर रही है।
नफरती पोस्ट पर शिकंजा कसने की सोच रहा सुप्रीम कोर्ट?
जस्टिस सूर्यकांत ने की टिप्पणी
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, ‘हम एसआईटी से सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि उन्होंने किस उद्देश्य से डिवाइस सीज किए हैं। हम अधिकारियों को बुलाएंगे। हम पूछ रहे हैं कि एसआईटी पहली नजर में ही गलत दिशा में क्यों जा रही है। उन्हें पोस्ट की विषय-वस्तु की जांच करनी थी।’
याचिकर्ता ने जांच में सहयोग किया – सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने यह देखा कि याचिकाकर्ता ने जांच में पूरी तरह से सहयोग किया है और अपने डिवाइस भी जमा कर दिए हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि उसे फिर से तलब ना किया जाए। जस्टिस कांत ने कहा, ‘आपको उसकी (महमूदाबाद की) नहीं, बल्कि एक डिक्शनरी की जरूरत है।’ बेंच ने अपने आदेश में कहा, ‘हमारे लिए एसआईटी की कार्यवाही के तरीके पर टिप्पणी करना सही नहीं होगा, फिर भी हम उसे अपने 28 मई के आदेश को याद दिलाना सही समझते हैं। वह दोनों सोशल मीडिया पोस्ट की जांच को जल्द से जल्द करे। याचिकाकर्ता पहले ही जांच में शामिल हो चुका है और अपने गैजेट सौंप चुका है, इसलिए हमें लगता है कि याचिकाकर्ता को जांच में शामिल होने के लिए फिर से बुलाना सही नहीं है।’ आखिरकार पूरा मामला क्या था यहां क्लिक कर पढ़ें…