आम आदमी पार्टी और सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) भले ही बुधवार को अनुराग कश्यप की फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में कट्स लगाने पर आमने-सामने आए हों, पार्टी के बहुत कम लोग ही इस बात से इनकार कर पाएंगे कि पंजाब में ड्रग्स की समस्या पर आधारित इस फिल्म से आप को आने वाले विधानसभा चुनाव में विरोधियों पर बढ़त हासिल होगी। आम आदमी पार्टी चुनाव प्रचार की शुरुआत से ही यह वादा करती रही है कि वह राज्य से ड्रग्स की समस्या को खत्म करेगी। ऐसे में इसी मुद्दे पर बनी फिल्म पार्टी के एजेंडे को नायकत्व प्रदान कर रही है।
एक ओर जहां आप नेता कश्यप के बचाव में कूद पड़े और निहलानी के इस आरोप पर कि ‘अनुराग से आप से पैसे लिए’ पर पलटवार किया, फिल्म के रिलीज होने के समय पर सवाल उठते रहे हैं। पार्टी का ड्रग्स के खिलाफ अभियान और ड्रग माफिया के साथ लोकल नेताओं के गठजोड़ का आरोप ना सिर्फ फिल्म की केन्द्रीय थीम से मिलता है, बल्कि पार्टी के एजेंडे को राष्ट्रीय दर्शक वर्ग तक ले जाता है।
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अरविंद केजरीवाल लगातार अनुराग कश्यप का समर्थन करते रहे हैं। उन्होंने ट्विटर पर अनुराग कश्यम के समर्थन और निहलानी की निंदा वाले बयानों को लगातार रिट्वीट किया है। कुमार विश्वास जैसे नेता तो एक कदम आगे बढ़कर निहलानी का केन्द्र सरकार का नया बस्सी (पूर्व दिल्ली पुलिस कमिश्नर) बता बैठे। आप के राघव चड्ढा ने ट्वीट किया, “हमें सबके साथ जोड़ना दिखाता है कि बीजेपी और अकाली दल आप को पंजाब में मिल रहे अभूतपूर्व समर्थन से कितना डरे हुए हैं।”
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फरवरी में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुए प्रदर्शनों के बाद इस मुद्दे ने आप को मोदी पर अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने का आरोप लगाने का मौका दे दिया है। केजरीवाल ने एक ट्वीट में साफ कहा, “आप जो खाएंगे, पहनेंगे, कहेंगे, देखेंगे और पढ़ेंगे, यह सब अब आरएसएस और मोदी जी तय करेंगे। यह बहुत डरावना है।”

