कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और बलात्कार के मामले से देशभर में पैदा हुआ गुस्सा ममता बनर्जी के जीवन की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक माना जा रहा है। कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने और फिर वाम दलों की सत्ता को अकेले बेदखल करने तक के सफर में और इसके बाद बीजेपी के बढ़ते प्रभाव को रोकने में कामयाब होने तक भी सीएम ममता बनर्जी ने कई चुनौतियों से पार पाई लेकिन यह चुनौती उनके जीवन के लिए सबसे बड़ी हो सकती है। मामला सामने आने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने पहले बंगाल सरकार को फटकार लगाई और फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया है।
क्यों बहुत बड़ी है ममता बनर्जी के लिए चुनौती?
ऐसा बहुत कम हुआ है कि ममता बनर्जी खुद किसी विरोध के दबाव में सड़क पर आई हों और फिर उनके प्रभाव का बहुत फर्क नहीं पड़ा हो। उनके ऊपर दबाव इतना ज़्यादा बढ़ गया कि वह खुद बलात्कार के मामले के खिलाफ सड़क पर उतरकर विरोध जताने लगीं। जबकि सबसे ज़्यादा विरोध जिन दो विभागों (गृह और स्वास्थ्य विभाग) का हो रहा है, दोनों ही खुद उनके अंडर में आते हैं।
ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद से उनकी ऐसे मामलों पर जिस तरह की अप्रोच रही उसे इस बार बदला हुआ पाया गया। जैसे 2012 में हुए पार्क स्ट्रीट गैंगरेप (जो उनके सत्ता में आने के ठीक एक साल बाद हुआ था) उसे उन्होंने फर्जी मामला कहकर खारिज कर दिया था। जैसे 2013 में हुए कामदुनी गैंगरेप मामले पर वह ज़्यादा कुछ नहीं बोलीं और विरोध उठने के बाद भी उनके बहुत ज़्यादा बयान नहीं आए। हाल ही में हुए संदेशखाली मामले को भी उनकी सरकार ने साजिश के तहत गढ़ा गया फर्जी मामला कहकर खारिज कर दिया था।
लेकिन आर जी कर हॉस्पिटल से जुड़ा मामला कई स्तरों पर अलग है। क्योंकि इसमें एक डॉक्टर शामिल है, जिस पर राजधानी कोलकाता के बीचों-बीच ऐसी जगह पर पर हमला किया गया जहां वह काम करती है। यह मामला पूरे देश की नजर में है। जब मामला सामने आया तो ममता बनर्जी इससे भली-भांति अवगत थी, वह शुरू से ही सीबीआई जांच की बात कहने लगी थीं।
एबीपी आनंदा को दिए एक इंटरव्यू में ममता बनर्जी ने कहा था, “प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का गुस्सा जायज है। मैंने पीड़ित परिवार से भी बात की है। मैंने निर्देश दिया है कि मामले को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में ले जाया जाए। अगर जरूरत पड़ी तो आरोपियों को फांसी दी जाएगी। जो लोग विरोध कर रहे हैं, अगर उन्हें राज्य प्रशासन पर भरोसा नहीं है, तो वे किसी अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी से संपर्क कर सकते हैं।”
हालांकि उनकी यह सख्ती कई मामलों में नहीं दिखाई दी। उन्होंने पीड़ित परिवार से मिलने में देरी की, आर जी कर के प्रिंसिपल को ट्रांसफर कर कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का प्रिंसिपल बना दिया गया। ऐसे फैसलों पर काफी सवाल उठने लगे, क्योंकि अस्पताल प्रशासन खुद शक के दायरे में था। अस्पताल पर बलात्कार के मामले को आत्महत्या दिखाने के प्रयास जैसे गंभीर आरोप लगे थे।
डॉक्टरों के प्रदर्शन पर हमले से और बढ़ गई चुनौती
ममता बनर्जी के लिए इस दौरान मुश्किलें तब और ज्यादा बढ़ गई जब 14 अगस्त की रात को प्रदर्शनकारी डॉक्टरों पर एक भीड़ ने हमला किया और आर जी कर अस्पताल में उत्पात मचाया और प्रदर्शनकारी डॉक्टरों और नर्सों की पिटाई की। इस दौरान पुलिस की भूमिका पर भी काफी सवाल उठे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भीड़ की पहचान को लेकर भी अब सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि भीड़ में टीएमसी के कार्यकर्ता भी मौजूद थे।
ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग
सीएम ममता बनर्जी के के इस्तीफे की मांग भाजपा और सीपीआई (एम) दोनों की ओर से की गई है। विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने उन्हें गृह और स्वास्थ्य मंत्री के रूप में नाकाम बताया है। यहां तक की इंडिया गठबंधन के दल और कांग्रेस भी ममता बनर्जी की सरकार की लापरवाहियों पर सवाल उठे रहे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया, “पीड़िता को न्याय दिलाने के बजाय आरोपी को बचाने का प्रयास अस्पताल और स्थानीय प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाता है।”