Shivsena UBT and BJP Maharashtra Politics: क्या महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना (यूबीटी) और बीजेपी के बीच दूरियां खत्म हो रही हैं? क्या यह दोनों दल एक-दूसरे के करीब आ सकते हैं? ये सवाल शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में लिखे एक संपादकीय के बाद खड़े हुए हैं। याद दिलाना होगा कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव या महाराष्ट्र में इस साल ही हुए लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शिवसेना (यूबीटी) के लगातार निशाने पर रहते थे। लेकिन अब सामना में की गई उनकी इस तारीफ के बाद बहुत सारी बातें महाराष्ट्र की राजनीति में कही जा रही हैं।
क्या लिखा है संपादकीय में?
संपादकीय में लिखा गया है कि अगर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस गढ़चिरौली जिले की पहचान को नक्सल प्रभावित जिले से स्टील मैन्युफैक्चरिंग जिले में बदलना चाहते हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। बताना होगा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर गढ़चिरौली जिले के गार्जियन मंत्री बने हैं।
यह संपादकीय शिवसेना (यूबीटी) के मीडिया चेहरे और पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत की ओर से लिखा गया है। सामना में फडणवीस की तारीफ का महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने स्वागत किया है।
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संपादकीय के सामने आने के बाद जब बहुत सारे सवाल खड़े हुए और संजय राउत से यह पूछा गया कि उन्होंने फडणवीस की तारीफ क्यों की, तब भी उन्होंने इसका बचाव किया और कहा कि सरकार ने इस मामले में अच्छा काम किया है। उन्होंने साफ किया कि हम लोग विपक्ष में हैं लेकिन गढ़चिरौली जैसे नक्सलवाद प्रभावित जिले में अगर नक्सली आत्मसमर्पण करते हैं और संविधान के रास्ते पर चलते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे।
यहां यह भी बताना जरूरी होगा कि नए साल के मौके पर गढ़चिरौली का उत्तरी इलाका नक्सलवाद से मुक्त हो गया है। यहां पर 11 नक्सलियों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने आत्मसमर्पण किया था।
नार्थ गढ़चिरौली हुआ नक्सलवाद से मुक्त, 11 नक्सलियों ने CM फडणवीस के सामने किया सरेंडर
उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे साल 2020 से 2022 तक गढ़चिरौली के संरक्षक मंत्री के पद पर रहे थे। सामना के संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि गढ़चिरौली में पहले रहे संरक्षक मंत्रियों ने वहां के दौरे खनन लॉबी को फायदा पहुंचाने के लिए किए थे और अब फडणवीस को दिखाना होगा कि उनके दौरे लोगों के फायदे के लिए हैं ना कि खनन लॉबी के लिए।
लंबे वक्त तक साथ रहे थे बीजेपी-शिवसेना
याद दिलाना होगा कि महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी का लंबे वक्त गठबंधन रहा लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के चयन के मसले पर दोनों दलों में जबरदस्त लड़ाई हुई और यह गठबंधन टूट गया। इसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी अविभाजित के साथ मिलकर महा विकास अघाड़ी की सरकार बनाई लेकिन 2022 में शिवसेना में भी एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद एक बड़ी टूट हुई।
शिंदे को मनाने में छूटे थे बीजेपी के पसीने
महाराष्ट्र में सवाल यह पूछा जा रहा है कि बीजेपी और शिवसेना के बीच क्या कोई नए राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं? क्या बीजेपी एकनाथ शिंदे के साथ ही उद्धव ठाकरे के साथ भी अपनी दोस्ती आगे बढ़ा सकती है। याद दिलाना होगा कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चयन के मसले के साथ ही विभागों के बंटवारे के मामले में भी बीजेपी को एकनाथ शिंदे को मनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।
फडणवीस से मिले थे उद्धव
पिछले महीने यानी दिसंबर में महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान उद्धव ठाकरे ने फडणवीस से मुलाकात की थी और तब भी इन दोनों दलों के रिश्तों में जमी बर्फ पिघलने जैसे सवाल सामने आए थे।
इस संपादकीय को लेकर महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक अटकलों में कहा जा रहा है कि शिवसेना (यूबीटी) बीजेपी के साथ आ सकती है। अगर ऐसा हुआ तो निश्चित रूप से महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबंधन बिखर जाएगा। देखना होगा कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति किस ओर करवट लेगी।
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