Chandrayaan-3 Launch: अंतरिक्ष में भारत एक और कीर्तिमान रचने को तैयार है। इसरो (ISRO) ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Launch) के परीक्षण की उलटी गिनती शुरू कर दी है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाना है। चंद्रयान-3 को बनाने में 615 करोड़ रुपये का खर्च आया है। चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में लेकर जाने के लिए एलबीएम-3 रॉकेट लॉन्चर का इस्तेमाल किया जायेगा। इस मिशन को खास बनाने के लिए इसरो ने भी तैयारी पूरी कर ली है। आम लोग इस मिशन को लाइव देख सकें इसके लिए इसरो की वेबसाइट पर बुकिंग की जा रही है।

चंद्रयान-3 मिशन क्यों है खास?

चंद्रयान मिशन के जरिए इसरो चांद पर होने वाली घटनाओं और रसायनों का पता लगाएगा। इस मिशन को 2008 में इसरो द्वारा शुरू किया गया था। इस मिशन के शुरू होने के 312 दिन बाद चंद्रयान से इसरो का संपर्क टूट गया। हालांकि इसरो ने इस मिशन को सफल बताया था। तत्कालीन इसरो चीफ ने मीडिया को बता था कि चंद्रयान-1 ने अपना 95% काम खत्म कर लिया था उसके बाद इसरो से उसका संपर्क टूट गया। इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया गया। यह मिशन आंशिक रूप से सफल हुआ था और अंतरिक्ष के अंदर मौजूद विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग होने की वजह से वह टूट गया।

चंद्रयान-3 के अंदर एक स्वदेशी लैंडर मॉडल, एक प्रोपोशनल मॉडल और एक रोवर मौजूद है। इस मिशन के तहत इसरो की कोशिश रहेगी कि वो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करा सके। अगर इसरो इसे सफलता पूर्व लैंड कराता है तो भारत चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल रूप से उतरने वाला पहला देश बन जायेगा। इस मिशन के तहत इसरो चांद की सतह की संरचना का अध्यन करते हुए रासायनिक विश्लेषण के मिशन पर भी निकलेगा।

वैज्ञानिकों के लिए चांद क्यों है खास?

दुनिया के सभी देशों के बीच चांद पर जाने की होड़ लगी हुई है। वैज्ञानिकों ने चांद को प्रारंभिक इतिहास का भंडार बताया है। उनका कहना है कि चांद पृथ्वी से ही टूट कर बना है। मानव गतिविधियों के कारण पृथ्वी से जो रिकॉर्ड मिट गए हैं वो चन्द्रमा पर अभी भी संरक्षित हैं। चांद की खोज से हमें धरती के प्रारंभिक इतिहास को समझने का मौका मिलेगा। पृथ्वी के साथ चन्द्रमा के रिश्ते और सोलर सिस्टम को भी गहराई में समझने का मौका मिलेगा।

चन्द्रमा से कैसे जुड़ा हुआ है मानव स्वास्थ्य?

चन्द्रमा पर पृथ्वी की अपेक्षा में गुरुत्वाकर्षण कम होता है और रेडिएशन अधिक पाया जाता है। वैज्ञानिक अब इस बात की खोज कर रहे है कि रेडिएशन कैसे इंसान के अंदर पाई जाने वाली कैंसर जैसी बीमारियों को रोकने में प्रभावी है। साथ ही वैज्ञानिक इस बात की भी खोज कर रहे है कि कैसे रेडिएशन इंसान की हड्डी और मांसपेशियों को ठीक कर सकता है।

चंद्रमा पर छिपा है बेशकीमती भंडार

चंद्रमा पर कई बेशकीमती खनिज भी मौजूद हैं। वैज्ञानिक अब इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कैसे चन्द्रमा को स्पेस स्टेशन के रूप में इस्तेमाल कर सके ताकि भविष्य में दूसरे ग्रह पर जाने में आसानी हो। यहां वैज्ञानिक कई उपकरणों का टेस्ट कर सकती है। आसान भाषा में कहा जाए तो वैज्ञानिक चांद को अपना टेस्ट लैब बना सकती है ताकि अंतरिक्ष में होने वाली सभी गतिविधियों पर नज़र बना रहे और साथ ही दूसरे ग्रह पर जीवन ढूंढ़ने के प्रक्रिया में और तेजी आ सके।