Delhi High Court: दिल्ली की कोर्ट के अंदर हालिया बढ़ती घटनाओं को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार ने दिल्ली के सभी कोर्ट के 300 जजों के लिए एक्स कैटेगरी की सुरक्षा की मांग की है। रजिस्ट्रार ने इसके लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा से सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा है। हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल कंवल जीत अरोड़ा ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को आठ सप्ताह में निर्णय लेने को कहा है।
इस बीच, कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे दिल्ली पुलिस के सुरक्षा प्रभाग ने 300 जजों को एक्स श्रेणी सुरक्षा कवर प्रदान करने पर अंतिम निर्णय लेने के लिए मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया है। जिसका अर्थ है कि उन्हें निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) के रूप में कम से कम 600 पुलिसकर्मियों की आवश्यकता होगी।
13 सितंबर को दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को लिखे एक पत्र में रजिस्ट्रार जनरल अरोड़ा ने कहा, ‘मैं एक बार फिर आपका ध्यान दिल्ली हाई कोर्ट की माननीय खंडपीठ द्वारा 19 जुलाई को पारित निर्णय की ओर आकर्षित करना चाहूंगा, जिसका शीर्षक है ‘न्यायालय अपने प्रस्ताव पर बनाम राज्य, जहां यह निर्देश दिया गया है। चूंकि न्यायिक अधिकारी भी इस तरह के खतरे से ग्रस्त हैं, इसलिए जीएनसीटीडी इस बात पर विचार करेगा कि उनके लिए भत्ता या पीएसओ प्रदान करने जैसी कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है या नहीं… इस संबंध में आज से आठ सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाए।’
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट के सभी जजों को ‘एक्स’ श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है, इसलिए अब बैठक में इन 300 न्यायाधीशों को भी ‘एक्स’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करने पर चर्चा की गई है। सूत्र ने कहा कि लेकिन सुरक्षा विभाग के पास 600 पुलिसकर्मियों को भेजने के लिए कर्मचारियों की कमी है, इसलिए वे पुलिस प्रमुख अरोड़ा को एक प्रस्ताव भेजने की योजना बना रहे हैं, जिसमें उन्हें सुरक्षा कवर के लिए 600 पुलिसकर्मी प्रदान करने के लिए कहा जाएगा।। उन्होंने कहा कि बैठक में न्यायालय परिसर में हाल के दिनों में हुई कई घटनाओं पर भी चर्चा की गई।
दिल्ली अभियोक्ता कल्याण संघ (डीपीडब्ल्यूए) ने अभियोजन के डिजिटलीकरण की योजना के मद्देनजर उन्हें पर्याप्त तकनीकी सुविधाएं या बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए हस्तक्षेप की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। डीपीडब्ल्यूए ने लोक अभियोजकों (पीपी) के लिए विशेष सुरक्षा भत्ते की भी मांग की।
हाई कोर्ट ने 19 जुलाई को अपने आदेश में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) को लोक अभियोजकों के अनुरोध पर विचार करने का निर्देश दिया, क्योंकि अन्य एजेंसियों में सेवारत उनके सहयोगियों के लिए भी इसी तरह के प्रावधान किए गए हैं। पीठ ने कहा कि चूंकि न्यायिक अधिकारी भी इस तरह के खतरे से ग्रस्त हैं, इसलिए जीएनसीटीडी को इस बात पर विचार करना चाहिए कि उनके लिए भत्ता या पीएसओ प्रदान करने जैसी कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है या नहीं।
कंवल जीत अरोड़ा ने आगे बताया कि जिला न्यायाधीश (सुपर टाइम स्केल) के वेतनमान में दिल्ली उच्चतर न्यायिक सेवा के न्यायिक अधिकारियों की स्वीकृत संख्या, जो केन्द्र सरकार में वेतन स्तर 15 के समान है, 149 है, तथा जिला न्यायाधीश (चयन ग्रेड) के वेतनमान में, जो केन्द्र सरकार में वेतन स्तर 14 के समान है, 165 है।
इतनी जल्दी क्यों थी? MCD चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट ने LG विनय कुमार सक्सेना से किया सवाल
उन्होंने शीर्ष पुलिस अधिकारी से न्यायिक अधिकारियों को पीएसओ प्रदान करने के मामले पर सकारात्मक रूप से विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कह कि कम से कम शुरुआत में दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा के न्यायिक अधिकारियों को पीएसओ प्रदान किए जाएं। इसके अलावा यह भी अनुरोध किया जाता है कि दिल्ली पुलिस सभी न्यायिक अधिकारियों की कोर्ट परिसर में उनके आवागमन के दौरान और उनके आवासों पर सुरक्षा सुनिश्चित करे।
अरोड़ा से अनुरोध प्राप्त होने के बाद विशेष पुलिस आयुक्त (सुरक्षा प्रभाग) जसपाल सिंह को मामले की जांच करने के लिए कहा गया। बता दें, कोर्ट रूम के अंदर सुरक्षा भंग की ताजा घटनाओं में पिछले महीने कड़कड़डूमा कोर्ट में एक हत्या के मामले में एक आरोपी ने सुनवाई के दौरान अपने सहयोगी पर टाइल के नुकीले टुकड़े से हमला कर उसे घायल कर दिया। यह घटना उस समय हुई जब विशेष न्यायाधीश आलोक शुक्ला मामले की सुनवाई कर रहे थे। एक अन्य घटना में, 2021 में रोहिणी कोर्ट के एक कोर्ट रूम के अंदर अधिवक्ता के रूप में पेश हुए दो लोगों ने कथित तौर पर कुख्यात गैंगस्टर जितेंद्र मान गोगी की हत्या कर दी थी।
(महेंद्र सिंह मनराल की रिपोर्ट)