पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) एक बार फिर हालात असामान्य हो गए हैं। चारों ओर हिंसा फैली हुई है। पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लोग सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में अब तक 3 लोगों को मौत हो चुकी है जबकि 100 से अधिक लोग घायल हैं। पीओके में आजादी के नारे गूंज रहे हैं। लोगों ने स्थानीय सरकार के खिलाफ बिजली और जरूरी चीजों के दामों में बढ़ोतरी के बाद प्रदर्शन शुरू किया है। सरकार ने इस प्रदर्शन को देखते हुए 23 अरब रुपये का बजट मंजूर किया है।

कौन कर रहा है प्रदर्शन?

पाकिस्तान में यह प्रदर्शन जम्मू-कश्मीर ज्वॉइंट आवामी एक्शन कमेटी (JAAC) के बैनर तले हो रहा है। इस कमेटी में सबसे अधिक संख्या छोटे कारोबारियों की है। कमेटी की ओर से पिछले 4 दिनों से प्रदर्शन जारी है। पहले स्थानीय कारोबारियों ने अपनी दुकानों के शटर बंद कर दिए और इसके बाद हड़ताल का ऐलान कर दिया। कमेटी की ओर से मुजफ्फराबाद के लिए मार्च भी निकाला गया। JAAC के प्रवक्त हाफिज हमदानी का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के दौरान हो रही हिंसाओं के कारण कमेटी के बदनाम करने की कोशिश हो रही है।

PoK में क्यों हो रहा प्रदर्शन

पीओके में रहने वाले लोग पिछले काफी समय से पाकिस्तान की सरकार पर भेदभाव करने के आरोप लगा रहे हैं। लोगों का कहना है कि आटा, दूध और अन्य खाद्य सामग्रियों के दाम सातवें आसमान पर हैं। लोगों में गेहूं और आटा पर सब्सिडी खत्म करने, टैक्स और बिजली जैसे मुद्दों को लेकर भी काफी गुस्सा है। लोगों का कहना है कि पाकिस्तान की सरकार बेरोजगारी को लेकर भी कोई कदम नहीं उठा रहा है। पीओके में सेना की लगातार तैनाती बढ़ाई जा रही है। इसमें भी स्थानीय लोगों को कोई मौका नहीं मिलता है। पाकिस्तान में जितनी बिजली की जरूरत है उसकी 20 फीसदी पीओके में स्थित मंगला डैम में पैदा होती है। हालांकि उसका सिर्फ 30 फीसदी हिस्ता ही पीओके को मिलता है। बाकी बिजली पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को दे दी जाती है। इसे लेकर लोगों में भारी आक्रोश है।

पीओके में प्रदर्शन की एक और बड़ी वजह यह भी है कि यहां रहने वाले अमीरों और ताकतवर लोगों कों 24 घंटे बिजली मिलती है। दूसरी तरफ दावा है कि गरीब लोगों को दिनभर में महज 4 से 6 घंटे ही बिजली मिल पाती है। इसे लेकर लोगों में भारी गुस्सा है। छोटे व्यापारियों को इससे काफी नुकसान उठाना पड़ता है। दूसरी तरफ पाकिस्तान के वित्त मंत्री अब्दुल माजिद खान का दावा है कि कमेटी की ओर से जो दावे किए जा रहे हैं उसमें सच्चाई नहीं है। उनकी कई मांगों को पहले ही माना जा चुका है। सरकार ने कमेटी के साथ एक समझौता किया था जिसमें सरकार आटे पर सब्सिडी और बिजली टैरिफ की दरें 2022 के स्तर पर ले जाने को मान गई थी। हालांकि कमेटी बाद में इस समझौते से पीछे हट गई।

पाक सरकार ने लिया ये फैसला

पीओके में जारी प्रदर्शन के बाद पाक सरकार हरकत में आ गई है। पीओके के प्रधानमंत्री हक ने बिजली दरों में कटौती की घोषणा की है। वहीं प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने तत्काल प्रभाव से 23 अरब रुपये का बजट आवंटित किया है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सभी लोगों से संयम बरतने और बातचीत से मामले को हल करने की अपील की है। बता दें कि पीओके में प्रदर्शन को देखते हुएअलग-अलग हिस्सों में मोबाइल और इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई है।

क्या है PoK?

पीओके को पाकिस्तान आजाद कश्मीर बताता है जबकि भारत इसे पाक अधिकृत कश्मीर कहता है। यह कश्मीर से सटा हुआ हिस्सा है। 90,972 वर्ग किलोमीटर का यह हिस्सा गिलगित-बाल्टिस्तान का है। दरअसल पाकिस्तान ने यह हिस्सा अवैध रूप से कब्जा लिया है। भारत की आजादी के कुछ दिनों बाद ही पाकिस्तान से हजारों कबायली कश्मीर में घुस गए। इन्हें पाक सेना का भी साथ मिला। तब कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं था। ऐसे में भारत की सेना कश्मीर की मदद नहीं कर सकती थी। इसके कुछ ही दिन बाद 27 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय के दस्तावेज पर दस्तखत किए। इसके तुरंत बाद भारतीय सेना कश्मीर पहुंच गई।

भारत की सेना ने कबायलियों को पीछे भगा दिया। हालांकि भारत में तब के गवर्नर जनरल माउंटबेटन की सलाह पर जवाहर लाल नेहरू इस मसले को एक जनवरी 1948 को संयुक्त राष्ट्र में ले गए। हालांकि इस दौरान पाकिस्तान कश्मीर के बड़े हिस्से पर कब्जा कर चुका था। संयुक्त राष्ट्र में इसे लेकर प्रस्ताव पास हुआ जिसमें कहा गया कि उस तारीख तक जितना हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है वो पाकिस्तान के पास रहेगा और जितना भारत के पास है वह भारत का होगा। तभी से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को पीओके कहा जाता है।