Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल है। मई 2024 में एनसीपी (SP) के मुखिया शरद पवार ने लोकसभा इलेक्शन के बाद कुछ रीजनल पार्टियों के कांग्रेस में विलय की प्रबल संभावना की तरफ इशारा किया था। हालांकि, पवार सीनियर ने अपनी पार्टी के कांग्रेस में विलय की भविष्यवाणी से परहेज किया, लेकिन लोकसभा इलेक्शन में उनके बयानों की वजह से काफी हलचल मच गई थी। बाद में उन्होंने साफ किया कि एनसीपी (SP) और कांग्रेस पार्टी के बीच में वैचारिक समानता की तरफ इशारा किया था।

लोकसभा चुनाव के नतीजे चुनाव आयोग ने घोषित किए। इसमें शरद पवार की पार्टी ने 10 में से 8 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, यह जीत ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाई थी। 6 महीने के बाद विधानसभा चुनाव हुए और पार्टी को करारा झटका लगा और शरद पवार की पार्टी ने 82 सीटों पर चुनाव लड़ा था और महज 10 सीटों पर ही सिमट कर रह गई।

शरद पवार की पार्टी ने किया इशारा

ठीक एक साल बाद मई 2025 में शरद पवार ने एक बार फिर अपनी पार्टी एनसीपी (SP) और अपने भतीजे उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पार्टी एनसीपी के बीच संभावित विलय की तरफ इशारा किया। हालांकि, उन्होंने यह भी इशारा किया कि आखिरी फैसला पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष और उनकी बेटी सुप्रिया सुले पर निर्भर करेगा कि वह विपक्ष में बैठना चाहती हैं या नहीं। इस बार यह बयान महाराष्ट्र में मानसून के बाद होने वाले लोकल बॉडी चुनावों से पहले आया है।

इस साल लोकल बॉडी चुनाव के लिए रास्ता साफ हो गया है। शुरुआत में मोटे तौर पर दो धड़े हैं। पहला तो महायुति है और दूसरा महा विकास अघाड़ी। सत्तारूढ़ महायुति और एमवीए में तीन-तीन पार्टियां हैं। इन सभी ने एक साथ लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ा था। यह सभी पार्टियां 29 नगर निगमों, 257 नगर परिषदों, 26 जिला परिषदों, 289 पंचायत समितियों सहित स्थानीय निकायों की बात आने पर एकजुट नहीं रह सकती हैं। इस बीच राजनीतिक विलय का सिद्धांत फिर से सामने आया है। सबसे पहले यह ठाकरे के चचेरे भाई-बहनों – शिवसेना और मनसे के बीच खेला गया। यहां पर उन्होंने महाराष्ट्र के कल्याण के लिए एक साथ आने की इच्छा जाहिर की है। अब पवार विलय का खेल खेल रहे हैं।

एक मंच पर दिखे शरद-अजित पवार तो बोले राउत

अजित पवार ने विलय को लेकर कुछ नहीं कहा

पवार सीनियर की सत्ता के खेल को करीब से देखने वाले सभी लोग इस बात की पुष्टि करेंगे कि उनकी टिप्पणियां कभी भी आकस्मिक नहीं होती हैं। शरद पवार जो भी करते हैं वह बहुत कुछ ध्यान में रखकर करते हैं। अजित पवार ने शरद पवार की पार्टी के विलय को लेकर कुछ भी नहीं कहा है। इतना ही नहीं सुले ने भी विलय को लेकर भी कोई सहमति जाहिर नहीं की है।

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने खुलासा करते हुए इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘वह क्यों और क्या करते हैं, यह तो केवल वही जानते हैं। लेकिन ताजा मामले में संभावना है कि सत्ता से बाहर होने से बेचैन एक बड़ा वर्ग अजित के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट में विकल्प तलाश रहा है।’ लोकसभा और विधानसभा चुनावों से अलग, लोकल बॉडी चुनावों में स्थिति बिल्कुल अलग होती है और यह हमेशा सत्ताधारी पार्टी के लिए फायदेमंद होता है। इसलिए, संगठन से और ज्यादा पलायन को रोकने के लिए विलय का फॉर्मूला पेश किया गया हो सकता है। दूसरे, यह जमीनी हकीकत को परखने की एक चाल भी हो सकती है।

शरद पवार का मैदान संभालना मुश्किल

पवार सीनियर का मानना ​​है कि अजीत के खिलाफ जमीनी स्तर पर मैदान को संभालना एक मुश्किल काम होने जा रहा है। विधानसभा चुनावों में 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी बीजेपी के मजबूत प्रदर्शन के साथ, पवार सीनियर जानते हैं कि कई दलों में बंटी क्षेत्रीय ताकतों के लिए यह आसान नहीं होगा। इस लिहाज से, अजीत पवार को भी अपने संगठन को मजबूत करने के लिए खास तौर पर पश्चिमी महाराष्ट्र में गैर-बीजेपी चुनावी दलों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन पर निर्भर रहना होगा।

फडणवीस ने लोकल बॉडी इलेक्शन को लेकर क्या कहा?

सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बार-बार कहा है, ‘हम अपने गठबंधन साथियों शिवसेना और एनसीपी के साथ लोकल बॉडी चुनाव लड़ेंगे।’ 2014 के विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी पहली बार 288 में से 122 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी। विधानसभा चुनावों में रोमांचक मुकाबला देखने को मिला। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए जरूरी 145 सीटों के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए बीजेपी को 23 सीटों की कमी खली। चुनाव से पहले सीट बंटवारे को लेकर लंबे समय से गठबंधन में रहे सहयोगियों के साथ तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए, बीजेपी ने उद्धव ठाकरे को अपने साथ लाने की लगातार कोशिश की। क्या महाराष्ट्र की राजनीति में भतीजे अजित पवार से हार गए हैं शरद पवार?