Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों में राहत पाने के लिए संपन्न व्यक्तियों की ओर से सीधे उसके पास आने की प्रथा की कड़ी निंदा की। कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे को छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले और अन्य से जुड़े सीबीआई जांच के लिए हाई कोर्ट जाने के लिए कहा।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सवाल करते हुए कहा, ‘अगर हमें ही सब कुछ सुनना है, तो बाकी अदालतों का क्या उद्देश्य है? हर राज्य में एक हाई कोर्ट होता है। क्या आपको लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के लिए हर चीज से निपटना आसान है।’ न्याय तक पहुंच में कथित असमानता पर तीखी टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘यह तभी होता है जब कोई संपन्न व्यक्ति इसमें शामिल होता है। गरीब व्यक्ति कहां जाएगा? अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आम मुकदमेबाज, आम वकील के लिए सुप्रीम कोर्ट में कोई जगह नहीं बचेगी।’
क्या है मामला?
अब मामले पर गौर करें तो चैतन्य बघेल ने अपनी गिरफ्तारी की जरूरत पर सवाल उठाया और छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े ईडी के दर्ज मामले में अंतरिम जमानत मांगी। उन्होंने ईओडब्ल्यू के एक मामले में जबरदस्ती कार्रवाई न करने की राहत की भी गुहार लगाई और पीएमएलए की धारा 50 और 63 को चुनौती दी।
बांके बिहारी मंदिर के अध्यादेश को लेकर SC की यूपी सरकार पर तल्ख टिप्पणी
वहीं दूसरी तरफ भूपेश बघेल ने कोयला घोटाला, शराब घोटाला, महादेव सट्टेबाजी ऐप, चावल मिलिंग और डीएमएफ घोटाला मामलों में अंतरिम राहत मांगी। उनकी एक याचिका में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामलों में राहत और पीएमएलए की धारा 44, 50 और 63 को चुनौती दी गई थी, जबकि दूसरी याचिका में सीबीआई और राज्य पुलिस द्वारा दर्ज मामलों में राहत और सीआरपीसी की धारा 173(8) को कम करने की मांग की गई थी।
भूपेश बघेल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि केंद्रीय एजेंसियां टुकड़ों में चार्जशीट दाखिल कर रही हैं और यह प्रथा एक देशव्यापी समस्या बनती जा रही है। कोर्ट ने कहा कि वह इस चिंता को समझता है कि शक्ति इतनी ज्यादा होने के कारण, इसका दुरुपयोग होने और निर्दोष व्यक्तियों को परेशान करने की संभावनाएं हैं, लेकिन यहां प्रश्न शक्तियों का नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद नेता विपक्ष पर बीजेपी का करारा हमला