नेहा बनका
मंगलवार (19 जुलाई) को लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए गृह मंत्रालय ने बताया कि साल 2021 में 1.6 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी। जबकि, साल 2020 में 85,256 लोगों ने देश की नागरिकता छोड़ी और इसके पहले साल 2019 में 1,44,017 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी थी। अगर हम तुलनात्मक नजरिए से देखें तो साल 2020 के मुकाबले साल 2021 में लगभग दोगुने लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशी नागरिकता ले ली।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की सबसे बड़ी संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका (78,284) की नागरिकता ली तो दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया रहा जहां 23,533 भारतीयों ने नागरिकता ली। इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर कनाडा रहा जहां 21,597 भारतीयों ने नागरिकता ली और चौथे नंबर यूनाइटेड किंगडम रहा जहां 14,637 भारतीयों ने नागरिकता ली। वहीं अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों में से कम संख्या ने इटली में 5,986 भारतीयों ने ली नागरिकता, न्यूजीलैंड में 2,643 , सिंगापुर में 2,516, जर्मनी में 2,381, नीदरलैंड में 2,187, स्वीडन में 1,841 और स्पेन में 1,595 भारतीयों ने नागरिकता ली। भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है और दूसरे देश की नागरिकता लेने से स्वतः ही भारतीय नागरिकता रद्द हो जाती है।

जानिए भारतीय क्यों छोड़ रहे हैं नागरिकता?

भारत की नागरिकता छोड़ने वालों की अपनी अलग-अलग वजहें हो सकती हैं कुछ प्रमुख वजहों के बारे में हम आपको बताते हैं। बिजनेस सिक्योरिटी, भारत के अमीर लोगों का मानना है कि भारत सरकार उन्हें उनके बिजनेस के मुताबिक सिक्योरिटी नहीं दे पा रहे हैं जिसकी वजह से वो विदेशों में निवेश करके वहां अपना बिजनेस खड़ा कर रहे हैं और धीरे-धीरे खुद भी वहां शिफ्ट होते जा रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो यहां के रहन-सहन के स्तर को विदेशों की तुलना में काफी कम आंकते हैं जिसकी वजह से वो अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की ओर रुख कर रहे हैं।

नागरिकता छोड़ने की सबकी अलग-अलग वजहें

लोगों की नागरिकता छोड़ने के पीछे अलग-अलग वजहें होती हैं सामान्य तौर पर लोग दुनिया भर में अपने देशों को बेहतर नौकरियों और अच्छे जीवन यापन के लिए छोड़ रहे हैं। कुछ प्रतिकूल राजनीतिक परिस्थितियों से देश छोड़कर भाग रहे हैं। जैसे-जैसे दुनिया भर में भारतीय अप्रवासियों की संख्या बढ़ी है नई पीढ़ियों के पास अन्य देशों के पासपोर्ट होने की वजह से उनके परिवार विदेशों में ही बस जा रहे हैं। वहीं कुछ हाई प्रोफाइल मामलों की बात करें तो मेहुल चोकसी जैसे लोग कानून के डर से देश की नागरिकता छोड़कर भाग रहे हैं।

हॉयर एजुकेशन भी है नागरिकता छोड़ने की वजह

हॉयर एजुकेशन के मामले में पश्चिमी देश भारत से बेहतर हैं। साल 2020 के मुकाबले 2021 में अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 10 फीसदी से भी ज्यादा का इजाफा हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ वर्षों में देखा गया है कि विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों में से 60 फीसदी से ज्यादा युवा देश में वापसी नहीं करते हैं वो बेहतर भविष्य और करियर की संभावनाओं में उसी देश की नागरिकता लेकर वहीं बस जाते हैं।

भारतीय नागरिकता छोड़ने की सबसे बड़ी वजह

भारत में सिंगल सिटिजनशिप का प्रावधान है इसका मतलब आप अगर किसी और देश की नागरिकता लेते हैं तो आपकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाएगी। भारतीय संविधान दोहरी नागरिकता रखने की इजाजत नहीं देता है। भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के मुताबिक भारत के नागरिक रहते हुए आप दूसरे देश के नागरिक नहीं रह सकते। अगर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक रहते हुए दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो अधिनियम की धारा 9 के तहत उसकी नागरिकता खत्म की जा सकती है।

इन देशों में है दोहरी नागरिकता का प्रावधान

दुनिया में कई देश ऐसे भी हैं जहां दोहरी नागरिकता का प्रावधान है जैसे आयरलैंड, इटली, अर्जेंटीना, पराग्वे ये ऐसे देश हैं जहां दोहरी नागरिकता का प्रावधान है। भारतीयों के नागरिकता छोड़ने की ये भी एक बड़ी वजह है कि अगर वो किसी और देश की नागरिता लेता है तो उसे भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है।

प्रोफेसर अतनु महापात्र ने बताई वजह

गुजरात के केंद्रीय विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर डायस्पोरा स्टडीज के प्रोफेसर डॉ अतनु महापात्र ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि भारत के वैश्विक प्रवासी आंदोलनों का विश्लेषण स्वतंत्रता पूर्व और स्वतंत्रता के बाद के दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए। डॉ महापात्र ने कहा, “स्वतंत्रता के बाद प्रवासी समुदाय नौकरियों और उच्च शिक्षा के लिए (भारत से बाहर) जा रहा है।” उन्होंने कहा कि नौकरी के लिए जाने वाले लोग अकुशल, अर्धकुशल या कुशल श्रमिक हो सकते हैं।