हरियाणा में नायाब सिंह सैनी की सरकार अल्पमत में चल रही है। जेजेपी पहले ही बीजेपी से समर्थन वापस ले चुकी है। कांग्रेस पहले फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही थी लेकिन अब इससे पीछे हटती दिखाई दे रही है। पिछले दिनों तब राज्यपाल के साथ कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की तो माना जा रहा था कि वह फ्लोर टेस्ट की मांग कर सकती है। हालांकि बात सिर्फ ज्ञापन देकर खत्म हो गई। अब सवाल उठ रहा है कि अगर नायब सिंह सैनी की सरकार अल्पमत में है तो कांग्रेस फ्लोर टेस्ट की मांग क्यों नहीं कर रही है? आइये जानते हैं इसके पीछे की वजह…

क्यों अल्पमत में आई सरकार?

बता दें कि कुछ समय पहले ही बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाकर नायब सिंह सैनी को राज्य का नया सीएम बना दिया। इसके बाद जेजेपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। बीजेपी को चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। उसके पास कुल 90 में से 41 विधायक थे। ऐसे में सरकार अल्पमत में आ गई।

आखिर कांग्रेस क्यों नहीं चाहती फ्लोर टेस्ट?

कांग्रेस के फ्लोर टेस्ट की मांग ना करने के पीछे कई कारण है। पहला यह है कि नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद फ्लोर टेस्ट हुआ था। उस दौरान सरकार ने आसानी से फ्लोर टेस्ट पास कर दिया था। नियम है कि 6 महीने से पहले सदन में दोबारा फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जा सकता है। वहीं हरियाणा में विधानसभा चुनाव में भी ज्यादा समय नहीं बचा है। दूसरा जेजेपी समेत कुछ निर्दलीय विधायक बीजेपी से संपर्क में बताए जा रहे हैं। ऐसे में अगर इनमें फूट पड़ती है तो यह विपक्ष के लिए भी अच्छी स्थिति नहीं होगी। कांग्रेस चुनाव से पहले ऐसा कोई खतरा लेने से बचना चाहती है।

क्या होता है फ्लोर टेस्ट?

संसद और विधान सभाओं में फ्लोर टेस्ट यह जानने के लिए लिया जाता है कि क्या सरकार को अभी भी विधायिका का विश्वास प्राप्त है। सरल भाषा में कहें तो फ्लोर टेस्ट एक संवैधानिक प्रणाली है। विधानसभा के मामले में फ्लोर टेस्ट उस राज्य विधानसभा के अध्यक्ष कराते हैं। राज्यपाल सिर्फ आदेश देते हैं। फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल का किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होता है। यह काम पूरी तरह से स्पीकर की जिम्मेदारी होती है।

किस पार्टी के पास कितना संख्याबल?

हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। इनमें से 41 बीजेपी के पास हैं। वहीं कांग्रेस के पास 29 सीटें हैं। तीसरी बड़ी पार्टी जेजेपी है जिसके पास 10 विधायक हैं। इनके अलावा 6 निर्दलीय और एक गोपाल कांडा की पार्टी के पास है। फिलहाल 3 सीटें खाली हैं। सरकार को बहुमत के लिए 44 विधायक चाहिए। फिलहाल पार्टी को 43 विधायकों का समर्थन है।