कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा एक बार फिर मैदान पर सक्रिय हो गयी है। भाजपा की कर्नाटक इकाई ने शनिवार (10 जून) को पार्टी कार्यकर्ताओं को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है।
इसके ज़रिए भाजपा के उन नेताओं और कार्यकर्ताओं को कानूनी फायदा दिया जाएगा जिनके खिलाफ राज्य में कांग्रेस सरकार द्वारा ने मामले दर्ज किए गए हैं। भाजपा का कहना है कि यह मामले षड्यंत्र के तौर पर लगाए गए हैं और झूठे हैं।
क्या है भाजपा का यह फैसला?
बेंगलुरु दक्षिण के सांसद और भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने हेल्पलाइन नंबर शुरू करने के बाद कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को कानूनी रूप से उनके खिलाफ पुलिस मामलों से लड़ने में मदद करने के लिए सेवा शुरू की गई है। उन्होने जानकारी देते हुए कहा कि हेल्पलाइन नंबर – 18003091907 होगा। यह कांग्रेस सरकार की बदले की राजनीति के खिलाफ शुरू किया गया है।
भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा कि जब से सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक में शासन संभाला है, तब से विपक्ष विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है।
उन्होने कहा, “पिछले दो-तीन हफ्तों में कर्नाटक के वरिष्ठ मंत्री भाजपा कार्यकर्ताओं को सरकार की नीतियों का विरोध करने वाले बयान देने पर कड़ी कानूनी और पुलिस कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी देते रहे है…हम पहले ही दो उदाहरण देख चुके हैं जहां हमारे कार्यकर्ताओं को पुलिस की बर्बरता का सामना करना पड़ा है, मुख्यमंत्री के खिलाफ ट्वीट करने मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्टून बनाने और इसे व्हाट्सएप पर अपनी डिस्प्ले पिक्चर बनाने के लिए पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा है”।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने भी विशेष रूप से कहा है कि राज्य के तटीय क्षेत्रों में आरएसएस से प्रेरित विभिन्न सांस्कृतिक संगठनों के साथ सख्ती साथ निपटा जाएगा और सरकार इससे निपटने के लिए एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) गठित करने भी बनाने वाली है।
‘PFI से आदेश ले रही है कांग्रेस’
तेजस्वी सूर्या ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कर्नाटक के गृह मंत्री सीधे पीएफआई से आदेश ले रहे हैं और इस प्रकार की टिप्पणियां कर रहे हैं। हमने अतीत में कट्टरपंथी आतंकवादी तत्वों द्वारा भाजपा/आरएसएस कार्यकर्ताओं की नृशंस हत्या देखी है। तब कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ऐसा किया था। उचित प्राथमिकी दर्ज नहीं की, ठीक से जांच नहीं की, दर्ज की गई प्राथमिकी को कमजोर कर दिया, मिलावटी आरोप पत्र दायर किए गए ताकि उन अपराधों के अपराधियों को रिहा किया जा सके।”