साउथ अफ्रीका में BRICS समिट के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बातचीत हुई। इस छोटी सी बातचीत के दौरान दोनों नेता पूर्वी लद्दाख में LAC पर डिसइंगेजमेंट और फौज की तैनाती कम करने पर राजी हुए। दोनों नेताओं के बीच बनी इस सहमति के बाद अब सबकी नजरें सैन्य कमांडरों द्वारा सैनिकों को पीछे हटाने के लिए तैयार किए जा रहे प्लान की सटीक रूपरेखा पर है।

दोनों सेनाएं LAC पर किस जगह और किस हद तक डिसइंगेजमेंट करेंगी, यह अभी पूरी तरह क्लियर नहीं है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अभी स्पष्ट आदेशों की प्रतीक्षा की जा रही है। विभिन्न चरणों में संभावित डिसइंगेजमेंट के लिए विभिन्न तौर-तरीके तैयार किए गए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस में इस हफ्ते की शुरुआत में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, 19वें राउंड की बातचीत में दोनों सेनाओं के कमांडर्स ने LAC पर म्यूचुअली एक्सेप्टेड पॉइंट्स पर लिमिटेड डिसइंगेजमेंट के संभावित बिंदुओं पर चर्चा की है। दोनों देशों की सेनाएं 2020 से LAC पर तनाव कम करने के लिए बातचीत कर रही हैं।

कई जगहों से पीछे हटीं दोनों सेनाएं

अब तक दोनों देशों की सेनाओं में बातचीत की वजह से दोनों ही पक्ष कई जगहों से सैनिक पीछे हटाने और अस्थायी संरचनाओं को नष्ट करने के लिए राजी हुए है। इनमें गलवान वैली, पैंगोंग त्सो लेक के नॉर्थ और साउथ बैंक और हॉट स्प्रिंग और गोगरा के पैट्रोलिंग पॉइंट्स शामिल हैं। आखिरी बार सितंबर 2023 में दोनों सेनाओं ने गोगरा और हॉट स्प्रिंग एरिया से कई राउंड्स की बातचीत के बाद अपने सैनिक पीछे हटाए थे।

डिसइंगेजमेंट की वजह से इन इलाकों में बफर जोन बन गए है, जिस वजह से दोनों पक्षों के सैनिक इस एरिया में पेट्रोलिंग नहीं करते हैं। पहले दोनों ही सेनाएं यहां पेट्रोलिंग करती थीं। तनाव के इन पॉइंट्स के अलावा देपसांग प्लेन्स और डेमचोक के मुद्दे पर अभी तक कोई सहमती नहीं बन पाई है। इन दोनों ही जगहों पर 2020 के पहले से घुसपैठ के मामले सामने आते रहे हैं।

देपसांग प्लेन्स में क्या समस्या?

देपसांग प्लेन्स में चीनी सैनिक वाई-जंक्शन से पीपी 10 से 13 तक भारतीय पहुंच को प्रभावित कर रहे हैं। इसके अलावा यहां 972 वर्ग किमी भूमि पर पहुंचने में भी बाधा है। देपसांग प्लेन्स रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दौलत बेग ओल्डी के बेहद नजदीक है।

डेपसांग प्लेन्स का मामला साल 2013 में उस समय शुरू हुआ, जब चीन ने इस क्षेत्र में 18 किलोमीटर तक घुसपैठ की। हालांकि दोनों देशों के बीच पीछे हटने को लेकर सहमति बन गई लेकिन PLA ने इस एरिया को पूरी तरह से खाली नहीं किया। भारत ने तभी से इस इलाके में एक अलग ब्रिगेड तैनात कर दी है।

डेमचोक में क्या दिक्कत?

पूर्वी लद्दाख के साउथ में मौजूद डेमचोक में मुख्य समस्या चार्डिंग निंगलुंग नाला (सीएनएन) जंक्शन पर आ रही है। कई बार PLA ने यहां पर भारतीय चरवाहों को सीएनएन जंक्शन पर मौजूद सैडल पास पर रोक दिया है। यह इलाका LAC की भारत की धारणा के हिसाब से भारत का इलाका है।

इस महीने में 19वें दौर की वार्ता के बाद मौजूदा मुद्दों को हल करने की बारीकियां तय करने के लिए मेजर जनरल स्तर की मीटिंग आयोजित की गई थी। इस मीटिंग में LAC से जुड़े पुराने मुद्दों पर भी चर्चा हुई, इसके अलावा 2020 से पहले के सभी पेट्रोलिंग पॉइंट्स तक पहुंच प्राप्त करने को लेकर भी बातचीत हुई। बातचीत में दोनों देशों के कमांडर ने यहां पर LAC के नजदीक कोई भी नई पोस्ट न बनाने को लेकर चर्चा की।