सदियों से लोग इसका इलाज पाने या कहे कि अच्छी नींद लेने की तरकीबें खोज रहे है। इतना ही नहीं उर्दू और फारसी भाषा के सर्वकालिक महान शायर मिर्जा गालिब ने भी नींद न आने पर शायरी लिखी है। हो सकता है मिर्जा गालिब के वक्त नींद न आने के बहुत से मसले रहे हो।

लेकिन मौजूदा वक्त में वायु प्रदूषण, गर्मी, कार्बन डाईआक्साइड का उच्च स्तर और आस पास का शोर रात की अच्छी नींद को प्रभावित कर सकते हैं। एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। ‘स्लीप हेल्थ’ जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन शयनकक्ष में कई पर्यावरणीय कारकों को मापने और नींद की गुणवत्ता के साथ उनके संबंधों का विश्लेषण करने वाला अपनी तरह का पहला अध्ययन है।

अध्ययनकर्ताओं ने 62 प्रतिभागियों के एक समूह की दो सप्ताह के लिए निगरानी की और इस दौरान उनकी गतिविधियों के साथ ही नींद लेने के समय पर ध्यान केंद्रित किया गया। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि शयन कक्ष में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर, कार्बन डाईआक्साइड, शोर और तापमान का सीधा असर नींद की गुणवत्ता पर पड़ा और ऐसे लोग कम नींद ले सके।

अमेरिका के पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं अध्ययन के प्रमुख लेखक मैथियास बेसनर ने कहा कि ये निष्कर्ष उच्च गुणवत्ता वाली नींद के लिए शयनकक्ष के वातावरण के महत्त्व पर प्रकाश डालते हैं। उन्होंने कहा कि कार्य और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते नींद की गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव के अलावा बढ़ते शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से बदलते परिवेश ने रात में अच्छी नींद लेना कठिन बना दिया है। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि पर्याप्त नींद नहीं लेने के कारण कार्य क्षमता और जीवन की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

उन्होंने कहा कि इसका संबंध हृदय रोग, टाइप-2 मधुमेह, अवसाद और डिमेंशिया सहित अन्य बीमारियों के उच्च जोखिम से भी है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि अधिक शोर से अच्छी नींद की गुणवत्ता में 4.7 फीसद की कमी हो सकती है जबकि उच्च कार्बन डाइआक्साइड अच्छी नींद की गुणवत्ता में चार फीसद की कमी, उच्च तापमान 3.4 फीसद की कमी और उच्च वायु प्रदूषण 3.2 फीसद की कमी कर सकता है।