झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे। हेमंत सोरेन की JMM के नेतृत्व वाले INDIA गठबंधन ने 81 विधानसभा सीटों में से 56 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल कर ली है।  जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले NDA को सिर्फ़ 24 सीटें मिल सकी हैं। बीजेपी झारखंड के आदिवासी बेल्ट से सिर्फ 1 सीट हासिल हो सकी है। झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने द इंडियन एक्सप्रेस को एक इंटरव्यू दिया है। इंटरव्यू में उन्होंने कई मुद्दों पर बात की है। बीजेपी के खराब प्रदर्शन, पार्टी के लिए आगे की राह और विपक्ष में उनकी क्या भूमिका रहने वाली है। ऐसे भी कई सवालों के जवाब दिए हैं। 

सवाल: बीजेपी ने 2019 के चुनाव से भी खराब प्रदर्शन किया है। पार्टी के अंदर क्या चर्चा हो रही है? 

जवाब: नतीजे हमारे पक्ष में नहीं रहे। हम चिंतित हैं क्योंकि हमारे कार्यकर्ताओं ने हमें पॉजिटिव रिस्पांस दिया था। इस तरह के नतीजों की उम्मीद नहीं थी। शायद एक कारण ‘मैय्या सम्मान योजना’ (वंचित महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता योजना) का गहरा प्रचार भी रहा है, जिसका प्रभाव हम नहीं आंक पाए। गरीबों ने इसे तत्काल राहत के रूप में देखा और इसका असर हुआ। इसका फायदा जेएमएम को मिला। 

सवाल: भाजपा ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी।  क्या आपको लगता है कि आप चूक गए?

जवाब: भाजपा की ओर से कोई चूक नहीं हुई। पार्टी के सभी बड़े नेता झारखंड आए और लोगों को संदेश देने में सफल रहे। हम इस पर हार पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।

सवाल: आपका प्रचार कथित बांग्लादेशी घुसपैठ पर केंद्रित था। क्या आपको लगता है कि लोगों ने इसे अस्वीकार कर दिया?

जवाब: हमारा संदेश दोतरफा था – घुसपैठ और भ्रष्टाचार। हमारे संदेश को नकारने वालों से ज़्यादा लोगों ने मैय्या सम्मान योजना में लाभ देखा और इस तरह जेएमएम को वोट दिया।

एक और कारण नए राजनीतिक खिलाड़ी (झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के प्रमुख) जयराम महतो थे, जिनके उम्मीदवारों ने कई निर्वाचन क्षेत्रों में वोट हासिल किए। जबकि जेएलकेएम ने केवल एक सीट जीती, इसके नेताओं ने कम से कम 16 सीटों पर जीत के अंतर से ज़्यादा वोट हासिल किए। 

सवाल: क्या आपको लगता है कि आपको या किसी अन्य नेता को सीएम चेहरे के रूप में पेश न करना भाजपा की गलती थी?

जवाब:  नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता। 2014 में भी, हम बिना सीएम चेहरे के चुनाव में उतरे थे और अपने दम पर 37 सीटें हासिल करने में कामयाब रहे थे।

सवाल: आप आदिवासी समुदाय के बीच विश्वास कैसे पैदा करेंगे?

जवाब: इसके लिए कोई शॉर्टकट नहीं है। हमें उनके बीच काम करना होगा और उनका विश्वास जीतना होगा। यह सिर्फ़ चेहरे से नहीं हो सकता, बल्कि संगठनात्मक रूप से और अपनी नीतियों के ज़रिए किया जाना चाहिए। हमें सर्वकालिक विकास को ध्यान में रखते हुए चुनाव लड़ना होगा।

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सवाल: क्या आपको लगता है कि आपके ध्रुवीकरण संबंधी अभियान ने उन समुदायों में असंतोष को बढ़ावा दिया है जो आपके पक्ष में वोट नहीं करते हैं या भाजपा विरोधी हैं?

जवाब:  मुझे ऐसा नहीं लगता। वे शुरू से ही हमारे साथ नहीं रहे हैं। जैसा कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) कहते हैं, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास। विकास भेदभाव का विषय नहीं है। अटल बिहार वाजपेयी सरकार की तरह मोदी सरकार या किसी भी अन्य भाजपा नीत राज्य सरकार ने पक्षपात का सहारा नहीं लिया है।

सवाल: विपक्ष के तौर पर विधानसभा के अंदर और बाहर आपका ध्यान किस पर रहेगा?

जवाब: हम विधानसभा में सरकार के साथ रचनात्मक सहयोग करेंगे, साथ ही कुछ गलत होने पर आवाज भी उठाएंगे।

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