पेस्टिसाइड्स पर बैन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को कड़ी फटकार लगाई। दरअसल याचिका 116 पेस्टिसाइड्स पर बैन लगाने को लेकर दायर की गई थी। सीजेआई ने एएसजी से पूछा कि 27 में से 3 पेस्टिसाइड्स पर सरकार ने बैन क्यों लगाया। सरकारी वकील का जवाब था कि हर चीज के लिए एक प्रोसेस है।

सीजेआई ने तुरंत पूछा कि सरकार में हर चीज प्रोसेस है। सरकारी वकील ने कहा कि वो कमेटी की रिपोर्ट केवल बेंच को बता देंगे। सीजेआई तुरंत बोले- नो नो नो, आप जो भी हमें बताने जा रहे हैं वो दूसरे पक्ष को भी बताए। उनका कहना था कि कोर्ट में पेश दूसरे पक्ष के वकील को भी सब कुछ पता होना चाहिए।

सीजेआई बोले- सरकार काम करती तो हमें सुनवाई नहीं करनी पड़ती

याचिका में मांग की गई थी कि 116 ऐसे पेस्टिसाइड्स हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बैन किए जा चुके हैं। इन्हें देश में भी बैन किया जाना चाहिए। ये सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। खास बच्चों के लिए ये खासे हानिकारक हैं। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के समक्ष एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत ने कहा कि ये सब चलने नहीं दिया जा सकता।

सीजेआई ने पूछा क्या विक्रमजीत, तो सरकारी वकील का जवाब था कि यही कि इसे बैन करो और उसे नहीं। इस तरह की याचिकाओं को तत्काल खारिज किए जाने की जरूरत है। सीजेआई का कहना था कि सरकार ने अगर अपना काम ठीक से किया होता तो हमें करने की जरूरत नहीं पड़ती। सरकार को अपना काम ठीक तरीके से करने की जरूरत थी।

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल का कहना था कि ये (प्रशांत भूषण) आए और कहने लगे कि ये सारी चीजें चल रही हैं। उनका कहना था कि भूषण आकर कह रहे हैं कि इसे बैन करो और उसे नहीं। ऐसा कैसे चलने दिया जा सकता है। उनका कहना था कि बहुत से कॉरपोरेट इन पेस्टिसाइड्स को डवलप करते हैं। कोर्ट को इसके लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

सीजेआई ने उनसे कहा कि जस्टिस राजेंद्रन कमेटी की 2022 की रिपोर्ट को रिकार्ड पर रखा जाए। फिर बताया जाए कि वो रिपोर्ट क्या कहती है। तब विक्रमजीत ने कहा कि ठीक है हम उसे कोर्ट के सामने रखने जा रहे हैं।

सीजेआई बोले- केंद्र का फैसला ठीक नहीं था, हम इसकी तह में जाएंगे

सीजेआई चंद्रचूड़ ने फिर कहा कि केंद्र को डॉ. एसके खुराना सब कमेटी की रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखनी चाहिए। 6 सितंबर 2022 को डॉ. टीपी राजेंद्रन एक मीटिंग की अध्यक्षता कर कुछ हिदायतें जारी की थीं। केंद्र एक अलग हलफनामा दायर कर बताए कि फरवरी 2023 के आदेश में केंद्र ने कुछ पेसिटसाइड्स पर ही बैन क्यों लगाया। उनका कहना था कि ये रवैया दिखाता है कि केंद्र का फैसला ठीक नहीं था। हम इसकी तह में जाएंगे।