महंगाई पर लगाम के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दावे के बावजूद लोकप्रिय दक्षिण भारतीय व्यंजन डोसा इतना महंगा क्यों? आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने इसका ठीकरा दोसे के तवे और दोसा बनाने वाले पर फोड़ा है। राजन का कहना है कि तवे की तकनीक परंपरागत बनी हुई है और तवे पर हाथ फेरने वाले कारीगर की मजदूरी बढ गयी है।
राजन ने कहा, ‘‘ वास्तव में डोसा बनाने की प्रौद्योगिकी नहीं बदली है। जानते हैं, आज भी व्यक्ति इसे (चावल का घोल) तवे पर डालता है, फैलाता है और उस पर मसाला डालकर तैयार कर उसे रखता है। इस काम में कोई प्रौद्योगिकी सुधार नहीं हुआ है।’’ हालांकि, डोसा बनाने वाले व्यक्ति की पगार विशेषकर केरल जैसे राज्य में लगतार ऊंची होती जा रही है।’’
आरबीआई गवर्नर शनिवार शाम फेडरल बैंक के एक कार्यक्रम में इंजीनियरिंग की एक छात्रा के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। छात्रा ने पूछा था, ‘‘असल जीवन में, डोसा की कीमतों पर मेरा एक सवाल है। जब मुद्रास्फीति बढ़ती है तो डोसा के दाम भी बढ़ते हैं, लेकिन जब मुद्रास्फीति नीचे आती है तो डोसा की कीमत नीचे नहीं आती। तो हमारे प्रिय व्यंजन डोसा के साथ ऐसा क्यूं होता है।’’ राजन ने अपने जवाब में आगे कहा, ‘‘कामगारों का उपयोग कई ऐसे उत्पादक क्षेत्रों में किया जा सकता है जहां उत्पादकता काफी बढ़ी है जैसे फैक्टरी का काम, बैंकिंग आदि। यहां वहीं बैंक लिपिक प्रौद्योगिकी की वजह से कहीं ज्यादा लोगों को सेवाएं दे पा रहा है।’’