Leader of Opposition Haryana Congress: हरियाणा के विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी कांग्रेस के भीतर गुटबाजी खत्म नहीं हो रही है। कांग्रेस की हार की प्रमुख वजह गुटबाजी को ही माना गया था और अब इसी गुटबाजी के कारण हरियाणा में नेता विपक्ष कौन होगा, पार्टी इसका फैसला नहीं कर पा रही है। हरियाणा में 8 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आए थे और तब से अब तक डेढ़ महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है लेकिन कांग्रेस इसी उलझन में है कि हरियाणा में इस बड़े पद पर कौन सा नेता बैठेगा। इसे लेकर पार्टी की अच्छी-खासी किरकिरी भी हो रही है।

इस बीच नायब सिंह सैनी सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से कहा है कि वह जिस सरकारी आवास में रह रहे हैं, उसे खाली कर दें। भूपेंद्र सिंह हुड्डा चंडीगढ़ के सेक्टर 7 में स्थित कोठी नंबर 70 में रहते हैं।

बताया जा रहा है कि फरीदाबाद से विधायक और नायब सिंह सैनी सरकार में मंत्री विपुल गोयल इस कोठी में रहना चाहते हैं और इसके तुरंत बाद सैनी सरकार ने हुड्डा को नोटिस जारी कर इस कोठी को खाली करने को कहा है।

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हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस में बढ़ रही है गुटबाजी। (Source- bhupinder.s.hooda/FB)

हरियाणा का पावर सेंटर थी यह कोठी

द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में हुड्डा ने कहा कि सरकार की ओर से नोटिस भेजा जाना एक सामान्य प्रक्रिया है और इससे ज्यादा कुछ नहीं। हुड्डा ने बताया कि उन्हें इस मकान को खाली करना होगा वरना उन्हें इसका किराया देना पड़ेगा। हुड्डा की इस कोठी को जब वह मुख्यमंत्री थे तो हरियाणा में पावर सेंटर माना जाता था, उस दौरान इस घर में हुड्डा के तत्कालीन प्रिंसिपल ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी एमएस चोपड़ा रहते थे। 2014 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस की हार हुई थी तब भी यह कोठी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पास ही रही और 2019 की हार के बाद भी।

अब सवाल इस बात का है कि आखिर कांग्रेस हरियाणा में नेता विपक्ष का चयन क्यों नहीं कर पा रही है? क्या पार्टी भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नेता विपक्ष नहीं बनाना चाहती? हरियाणा कांग्रेस में हार के बाद हुड्डा सैलजा गुट के नेताओं के निशाने पर रहे थे।

कांग्रेस नेतृत्व को लगा सदमा

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में मिली हार न सिर्फ हरियाणा कांग्रेस के लिए बल्कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के लिए भी बहुत बड़े सदमे की तरह है। राहुल गांधी समेत पार्टी के तमाम नेताओं ने दावा किया था कि हरियाणा में हर हाल में कांग्रेस ही जीत दर्ज करेगी लेकिन बीजेपी ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी।

स्टार प्रचारकों की सूची में नहीं था हुड्डा का नाम

पिछले महीने जब कांग्रेस ने महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची जारी की थी, उसे लेकर भी हरियाणा में कई तरह की चर्चाएं शुरू हुई थी। तब कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने महाराष्ट्र चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक से सांसद उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को स्टार प्रचारकों की सूची में जगह नहीं दी थी।

जबकि सियासी तौर पर हुड्डा के विरोधी माने जाने वाले राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में था। इससे बड़ी बात यह है कि इस सूची को सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा के दस्तख़त के द्वारा जारी किया गया था। हरियाणा कांग्रेस में कुमारी सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की राजनीतिक लड़ाई के किस्से राज्य की राजनीति में सक्रिय लोगों से सुने जा सकते हैं।

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में मिली हार से कांग्रेस हाईकमान हैरान तो है ही वह राज्य में पार्टी नेताओं के बीच आपकी लड़ाई से भी बेहद नाराज है। विधानसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा के दौरान यह बात खुलकर सामने आई थी कि राहुल गांधी ने पार्टी की हार के लिए नेताओं को फटकार लगाई थी। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान ही इसे लेकर लड़ाई शुरू हो गई थी कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा?

हरियाणा में कांग्रेस की हार की वजह हुड्डा और सैलजा गुट की आपसी लड़ाई को ही माना गया था। हरियाणा में सरकार बनने के बाद विधानसभा का एक सत्र भी हो चुका है लेकिन इस दौरान भी विपक्ष के नेता का चयन पार्टी नहीं कर पाई।

हरियाणा में मिली हार से नाराज है कांग्रेस हाईकमान। (Source-PTI)

दमखम वाले नेता हैं हुड्डा

सवाल यह है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व आखिर क्या चाहता है? क्या वह हुड्डा की जगह किसी दूसरे विधायक को विपक्ष का नेता बनाना चाहता है। उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह ऐसा कर पाएगा क्योंकि हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा की ताकत किसी से कम नहीं है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा 2005 से 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं और उसके बाद नेता विपक्ष जैसा बड़ा पद भी उन्होंने संभाला है।

हरियाणा कांग्रेस में लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हुड्डा का कद और बढ़ गया था क्योंकि पार्टी ने 2019 में मिली 0 सीटों से आगे बढ़कर पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस जीत से उत्साहित होकर ही कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में एक तरह से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फ्री हैंड दिया था लेकिन चुनाव नतीजों के बाद सारे अनुमान और विश्लेषण धरे के धरे रह गए थे। बीजेपी ने 90 सीटों वाली हरियाणा की विधानसभा में 48 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस को 37 सीटें मिली थीं। इनेलो को 2 सीटें और 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे।

हुड्डा ने दिखाया था दम

भूपेंद्र सिंह हुड्डा नेता विपक्ष के पद पर अपनी दावेदारी को पुरजोर तरीके से आगे रख रहे हैं। उन्होंने चुनाव नतीजों के बाद अपने बंगले पर कांग्रेस के विधायकों की बैठक बुलाई थी। इसमें हरियाणा में कांग्रेस के 37 में से 32 विधायक पहुंचे थे। हुड्डा ने पार्टी आलाकमान को दिखाया था कि अभी भी हरियाणा कांग्रेस में उनकी टक्कर का कोई नेता नहीं है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बातचीत में बताया कि नेता विपक्ष के लिए अधिकांश विधायक भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पक्ष में हैं और उन्हें ही इस पद पर देना देखना चाहते हैं लेकिन अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान को लेना है। अगर पार्टी हाईकमान हुड्डा को इस पद पर नहीं बैठाएगा तो ऐसी बहुत संभावना है कि उनके खेमे से किसी नेता को नेता विपक्ष बना दिया जाए।

ऐसी स्थिति में हुड्डा खेमे से बेरी से विधायक रघुवीर कादियान, थानेसर से विधायक अशोक अरोड़ा, झज्जर से विधायक गीता भुक्कल का नाम सबसे आगे चल रहा है जबकि सैलजा खेमे की ओर से पंचकूला के विधायक चंद्र मोहन बिश्नोई का नाम चर्चा में है।

देखना होगा कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नजरअंदाज कर पाएगा?

दूसरी ओर, बीजेपी की ओर से राज्यसभा का उम्मीदवार कौन होगा, इसे लेकर भी लड़ाई चल रही है। क्लिक कर पढ़िए खबर।