छत्तीसगढ़ के बीजापुर में एक 28 वर्षीय पत्रकार की हत्या कर दी गई है। पत्रकार का नाम मुकेश चंद्राकर था और वह लापता थे। तलाश के दौरान उनका शव शुक्रवार को एक ठेकेदार की संपत्ति पर बने सेप्टिक टैंक में मिला। हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है और पूछताछ के लिए कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है।
एनडीटीवी ने बीजापुर पुलिस का हवाला देते हुए बताया कि मुकेश का शव एक सेप्टिक टैंक में मिला, जिसे हाल ही में कंक्रीट से सील किया गया था। दावा किया जा रहा है कि भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामला का खुलासा करने की वजह से उनकी हत्या कारवाई गई है।
CM विष्णुदेव साय ने किया ट्वीट
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस पूरे मामले पर एक ट्वीट करते हुए दुख जताया और कहा, “बीजापुर के युवा और समर्पित पत्रकार मुकेश चंद्राकर जी की हत्या का समाचार अत्यंत दुःखद और हृदयविदारक है। मुकेश जी का निधन पत्रकारिता और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।”
सीएम विष्णुदेव साय ने आगे लिखा, “किसी भी हालत में अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा। मैंने अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के निर्देश दिए हैं।”
1 जनवरी को आखिरी बार दिखाई दिए थे मुकेश
मुकेश चंद्राकर को आखिरी बार 1 जनवरी की शाम को देखा गया था। उनके बड़े भाई युकेश चंद्राकर (एक टेलीविजन पत्रकार) ने अगले दिन पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। मोबाइल ट्रैकिंग के आधार पर पुलिस ने मुकेश के शव को चट्टनपारा बस्ती में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की संपत्ति पर पाया।
युकेश चंद्राकर की शिकायत में मुकेश द्वारा हाल ही में रिपोर्ट की गई एक स्टोरी का ज़िक्र किया गया है, जिसमें गंगालूर से नेलसनार गांव तक सड़क निर्माण में कथित अनियमितताओं को उजागर किया गया था। रिपोर्ट के बाद परियोजना की जांच की गई थी। शिकायत में मुकेश को ठेकेदार सुरेश चंद्राकर सहित तीन व्यक्तियों से मिली धमकियों का हवाला भी दिया गया था।
शुक्रवार को जारी पुलिस के बयान के हवाले से द हिंदू ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है। बीजापुर के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र यादव ने मीडिया को बताया कि जिस परिसर में शव मिला है, उसका इस्तेमाल मजदूरों के रहने और बैडमिंटन खेलने के लिए किया जाता था।
मुकेश चंद्राकर कौन थे?
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक मुकेश चंद्राकर ने 2021 में बीजापुर में मुठभेड़ के बाद माओवादियों द्वारा कब्जे में लिए गए सीआरपीएफ कर्मियों की रिहाई में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सीआरपीएफ कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास की रिहाई में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए राज्य पुलिस ने उन्हें श्रेय दिया था। मुकेश ने नक्सली हमलों, मुठभेड़ों और बस्तर को प्रभावित करने वाले अन्य मुद्दों पर व्यापक रूप से रिपोर्टिंग की।
एक दशक के पत्रकारिता अनुभव के साथ, मुकेश ने एक प्रमुख राष्ट्रीय समाचार चैनल के लिए स्ट्रिंगर के रूप में काम किया और एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल, बस्तर जंक्शन चलाया, जिसके 159,000 से ज़्यादा सब्सक्राइबर्स हैं।