भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को केरल के तिरुवनंतपुरम निगम चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है। इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही केरल की पहली महिला आईपीएस अधिकारी आर श्रीलेखा भगवा पार्टी की लहर का एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरीं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या केरल की पहली महिला आईपीएस अधिकारी यहां से भाजपा की पहली महापौर बनेंगी।
इस संभावना से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए श्रीलेखा ने कहा कि यह फैसला पार्टी नेतृत्व पर निर्भर करता है। उन्होंने नतीजों के बाद पत्रकारों से कहा, “मुझे पता है कि सस्थामंगलम वार्ड में किसी भी उम्मीदवार को इतनी बड़ी जीत का अंतर पहले कभी नहीं मिला। मैं जनता के जबरदस्त समर्थन के लिए उनका धन्यवाद करती हूं।”
आर श्रीलेखा कौन हैं?
सस्थामंगलम डिवीजन से निर्णायक जीत हासिल करने वाली आर श्रीलेखा तिरुवनंतपुरम की मूल निवासी हैं। श्रीलेखा ने 16 साल की उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था। कॉटन हिल स्कूल में गायन, नाटक, एनसीसी और एनएसएस में श्रीलेखा एक प्रतिभाशाली छात्रा थीं। उन्होंने तिरुवनंतपुरम वुमेंस कॉलेज से इंग्लिश में ग्रेजुएशन किया और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन की उपाधि हासिल की। साथ ही उन्होंने फिर इग्नू से एमबीए किया। उन्होंने सबसे पहले विद्याधिराज कॉलेज में अध्यापन का काम शुरू किया। इसके बाद, उन्होंने रिजर्व बैंक में कार्यरत रहते हुए सिविल सेवा में एंट्री ली।
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1988 में बनीं एएसपी
श्रीलेखा 1988 में कोट्टायम में एएसपी बनीं और 1991 में त्रिशूर की पहली महिला एसपी बनीं। सतर्कता विभाग में रहते हुए उन्हें विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया। वे रबर मार्केटिंग फेडरेशन और रोड्स एंड ब्रिजेस कॉर्पोरेशन की एमडी भी बनीं। उन्होंने सीबीआई में भी चार साल तक अच्छा काम किया। सतर्कता विभाग की एडिशनल डीजीपी के रूप में सेवा करते हुए श्रीलेखा ने कंज्यूमरफेड में करोड़ों के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया।
2014 में परिवहन आयुक्त के रूप में सेवा करते हुए उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं की दर में रिकॉर्ड कमी लाई। श्रीलेखा पुलिस की महिला सुरक्षा परियोजना की नोडल अधिकारी थीं। जब सरकार ने निर्भया परियोजना को महत्व नहीं दिया, तो उन्होंने इसका विरोध किया। श्रीलेखा ने खुलकर कहा कि अगर निर्भया परियोजना को ठीक से लागू किया गया होता, तो केरल में ‘जीशा कांड’ जैसी घटना नहीं होती। करीब 33 साल की सेवा देने का बाद उन्होंने 2020 में रिटायमेंट लिया और और राजनीति में आ गई।
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