JNUSU New President News: JNU छात्रसंघ चुनाव में कांटे की टक्कर में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फ्रंट (AISA-DSF) के वामपंथी गठबंधन ने केंद्रीय पैनल के चार में से तीन पदों पर जीत हासिल की। ​​एबीवीपी ने एक पद जीता। आइसा के नीतीश कुमार को जेएनयूएसयू अध्यक्ष घोषित किया गया, डीएसएफ की मनीषा उपाध्यक्ष चुनी गईं, डीएसएफ की ही मुन्तेहा ने महासचिव पद जीता और एबीवीपी के वैभव मीना जॉइंट सेक्रेटरी चुने गए। नीतीश कुमार का एजेंडा बिल्कुल क्लियर है।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में नीतीश कुमार ने कहा, ‘पहली चीज जिस पर मैं काम करूंगा, वह है जेएनयू में ज्यादा फंडिंग लाने के लिए दबाव डालना। पिछले कुछ सालों में फंडिंग में बहुत कटौती हुई है। मैं यूनिवर्सिटी के इंफ्रास्ट्रक्चर को सही बनाने के लिए बहुत काम करूंगा। हम एंट्री के लिए जेएनयूईई एग्जाम को फिर से लाने सीपीओ मैनुअल को खत्म करने की दिशा में भी काम करेंगे और फीमेल स्टूडेंट्स को सेकंड ईयर में ही सिंगल-सीटर आवास मिलने के लिए दबाव डालेंगे।’

एबीवीपी के उदय को लेकर क्या बोले कुमार

कैंपस में एबीवीपी के उदय का जिक्र करते हुए कुमार ने कहा, ‘पिछली बार जब 2015-16 में एबीवीपी ने पैनल में एंट्री की थी, तो जेएनयू की छवि राष्ट्र-विरोधी की बन गई थी। इस बार हम एक संघ के रूप में ऐसा नहीं होने देंगे।’ कुमार स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज में थर्ड ईयर के छात्र हैं।

वाम गढ़ में ABVP ने लगाई सेंध

यूनाइटेड लेफ्ट पैनल की तरफ से जारी किए गए बयान के मुताबिक, ‘नीतीश कुमार अपने साथ भारत के उत्पीड़ित समुदायों के अनुभव लेकर चलते हैं।’ बिहार के अररिया जिले के शेखपुरा में एक साधारण ओबीसी परिवार से आने वाले कुमार खेती की मुश्किलों के बीच पले-बढ़े हैं। नीतीश कुमार के पिता एक किसान हैं और उनकी मां एक गृहिणी हैं।

नीतीश कुमार ने बीएचयू से की ग्रेजुएशन

वामपंथी पैनल के बयान में कहा गया है कि फोर्ब्सगंज में सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान उन्होंने पहली बार शैक्षणिक संस्थानों में घुसपैठ करने वाले सांप्रदायिक फासीवाद की भयावह प्रकृति को देखा और समझा। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में बीए पूरा करने के बाद कुमार ने 2020 में मास्टर डिग्री के लिए जेएनयू में एंट्री की। वह कोरोना काल के दौरान 2021 में जेएनयू को फिर से खोलने वाले आंदोलन के एक खास चेहरा रहे थे। अगस्त 2023 में उन्होंने हॉस्टल संकट का हल निकालने की मांग करते हुए 16 दिनों की भूख हड़ताल की। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) जेएनयू इकाई के सचिव के तौर पर कुमार ने फेलोशिप का अमाउंट बढ़ाने और एंट्रेस एग्जाम को बहाल करने का अभियान चलाया।