Who Is Justice Nawab Singh: सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर, 2024 में शंभू और खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की शिकायतों को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करने के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस (सेवानिवृत्त) नवाब सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कमेटी को किसानों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया था। शुक्रवार को हरियाणा के पंचकूला में होने वाली ऐसी ही एक बैठक किसानों के शामिल होने से इनकार करने के बाद रद्द कर दी गई है।

जस्टिस नवाब सिंह कौन हैं?

11 दिसंबर 1951 को किसानों और वकीलों के परिवार में जन्मे जस्टिस नवाब सिंह ने 1974 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। कृषि पृष्ठभूमि से आने के कारण उन्हें किसानों की जमीनी समस्याओं का अच्छा जानकार माना जाता है।

अप्रैल 2024 में चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जस्टिस सिंह ने हरियाणा के लिए नई राजधानी और अलग हाई कोर्ट की जोरदार वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि मांग…बिल्कुल जायज है और राज्य सरकार को इस पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देना होगा।

2013 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें हरियाणा उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जो राज्य के उपभोक्ता विवादों से संबंधित मामलों का निर्णय करने वाली सर्वोच्च संस्था है।

अपने शुरुआती सालों में सिंह ने हरियाणा के अंबाला जिले में एक वकील के रूप में काम किया। इससे पहले कि वे 1984 में राज्य की सुपीरियर न्यायिक सेवाओं में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में चुने गए। 1999 में उन्हें जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और उन्होंने विभिन्न जिलों में सेवा की। वे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार (सतर्कता) भी थे।

अप्रैल 2007 में हाई कोर्ट के जज के रूप में अपनी पदोन्नति से पहले जस्टिस सिंह ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के रूप में भी कार्य किया। हाई कोर्ट के जज के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भवन समिति, किशोर न्याय निगरानी समिति, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स न्यायिक अकादमी चंडीगढ़ और उच्च न्यायिक सेवाओं में भर्ती के लिए समिति सहित विभिन्न समितियों के सदस्य के रूप में कार्य किया। उनके पिता, एक प्रमुख जमींदार, हरियाणा में एक प्रतिष्ठित वकील के रूप में प्रैक्टिस करते थे।

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किसानों से बातचीत के लिए गठित समिति में जस्टिस नवाब सिंह के अलावा सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी एवं हरियाणा के पूर्व डीजीपी पीएस संधू, डॉ. देविंदर शर्मा, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू), अमृतसर के प्रोफेसर रणजीत सिंह घुम्मन, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री डॉ. सुखपाल सिंह और विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रोफेसर बीआर कंभोज शामिल हैं।

पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू और खनौरी में प्रदर्शनकारी किसान वर्तमान में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी सहित 14 मांगों के कार्यान्वयन की मांग को लेकर अपने आंदोलन के एक साल पूरे होने की तैयारी कर रहे हैं।

(इंडियन एक्सप्रेस के लिए वरिंदर भाटिया की रिपोर्ट)

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