भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को नए संसदीय बोर्ड का एलान किया है, जिसमें वरिष्ठ नेताओं नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान को जगह नहीं मिली। हालांकि, बोर्ड में पंजाब से इकबाल सिंह लालपुरा को जगह दी गई है, जो कि वर्तमान में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हैं। इकबाल सिंह लालपुरा को इससे पहले केंद्र ने साल 2021 में यह जिम्मेदारी सौंपी थी।
इकबाल सिंह लालपुरा : पूर्व IPS और भरोसेमंद बीजेपी नेता
भाजपा के नए संसदीय बोर्ड में शामिल किए गए इकबाल सिंह लालपुरा राजनीति में आने से पहले एक IPS अधिकारी रह चुके हैं। लालपुरा ने पुलिस विभाग में काम करते हुए एसएसपी अमृतसर, एसएसपी तरनतारन और अतिरिक्त महानिरीक्षक सीआईडी अमृतसर के रूप में काम किया था। सेवानिवृत्ति के बाद लालपुरा राजनीति में आए और साल 2012 में वह भाजपा में शामिल हो गए थे।
जरनैल सिंह भिंडरावाले को किया था गिरफ्तार
इकबाल सिंह लालपुरा का पुलिस विभाग में बड़ा पुराना इकबाल है। लालपुरा की गिनती पंजाब के बड़े सम्मानित पुलिस अधिकारियों के रूप में होती है। लालपुरा ने पंजाब में उन दिनों में काम किया, जब प्रदेश में आतंकवाद चरम पर था। उन्होंने अपने कार्यकाल में राष्ट्रपति पुलिस पदक, मेधावी सेवाओं के लिए पुलिस पदक, शिरोमणि सिख साहित्यकार पुरस्कार, सिख विद्वान पुरस्कार सहित कई सारे पुरस्कार जीते हैं। इकबाल सिंह लालपुरा उन तीन अधिकारियों में से एक थे, जिनका नाम साल 1981 में खालिस्तानी उग्रवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले को गिरफ्तार करने में गिना जाता है। बाद में साल 1984 में भिंडरावाले को ऑपरेशन ब्लूस्टार में मार गिराया गया था।
लालपुरा हैं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष
सितंबर 2021 में, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने से पहले इकबाल सिंह लालपुरा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता थे और टीवी डिबेट्स का जाना-माना चेहरा थे। जब पंजाब में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी था, तो लालपुरा अक्सर पंजाब के कई हिस्सों के दौरों पर भी जाते थे। इस दौरान संगरूर और बरनाला में उन्हें विरोध भी झेलना पड़ा था। वहीं, लालपुरा को दूसरी बार इससे साल अप्रैल, 2022 में फिर से राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था और वर्तमान में यहां सेवाएं दे रहे हैं।
सिख दर्शन और इतिहास पर लिखी 14 किताबें
साल 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों में लालपुरा ने रोपड़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें केवल 10,067 वोट मिले और वे चौथे स्थान पर रहे थे। चुनावों में असफल रहने वाले लालपुरा की गिनती सिख बुद्धिजीवियों में भी होती है, क्योंकि उन्होंने सिख और पंजाबी संस्कृति पर कई किताबें लिखी हैं। इसके अलावा, उन्होंने सिख दर्शन और इतिहास पर भी 14 किताबें लिखी हैं, जिनमें ‘जपजी साहिब एक विचार’, गुरबानी एक विचार और ‘राज करेगा खालसा’ शामिल हैं।
