Who is Banu Mushtaq: कर्नाटक सरकार द्वारा बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक को इस वर्ष के मैसूरु दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए आमंत्रित करने के निर्णय से राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। बीजेपी नेताओं ने इस भूमिका के लिए उनकी उपयुक्तता पर सवाल उठाए हैं और पुलिस ने ऑनलाइन सांप्रदायिक पोस्ट के लिए मामले दर्ज किए हैं।
दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में दुनिया भर से लगभग 50 लाख लोग कर्नाटक की विरासत राजधानी मैसूर में दशहरा मनाने आते हैं। बानू मुश्ताक के बार में और इस पूरे विवाद के बारे में आपको भी जानकारी होनी चाहिए।
बानू मुश्ताक कौन हैं?
62 वर्षीय बानू मुश्ताक एक कन्नड़ लेखिका, कार्यकर्ता और किसान एवं कन्नड़ भाषा आंदोलन की पूर्व सदस्य हैं। मई 2025 में वह अपने लघु कहानी संग्रह एडेया हनाटे के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली कन्नड़ लेखिका बनीं, जिसका दीपा भस्थ ने अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
बता दें कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पिछले हफ़्ते घोषणा की थी कि मुश्ताक मैसूर के चामुंडी हिल मंदिर में नाडा हब्बा का उद्घाटन करेंगी। उन्होंने उन्हें एक प्रगतिशील विचारक बताया और कहा कि उनके साहित्यिक और सामाजिक योगदान ने उन्हें राज्य के सबसे प्रतिष्ठित सांस्कृतिक उत्सव का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त विकल्प बनाया है।
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क्यों खास है यह उत्सव?
नाडा हब्बा के नाम से प्रसिद्ध, मैसूर दशहरा हर साल मैसूर की अधिष्ठात्री देवी चामुंडेश्वरी के सम्मान में मनाया जाता है। राक्षस राजा महिषासुर पर उनकी विजय की कथा पर आधारित यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इसकी शुरुआत चामुंडी पहाड़ी मंदिर में पूजा के साथ होती है और यह 10 दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों, लोक परंपराओं, साहित्यिक कार्यक्रमों, प्रदर्शनियों के साथ जारी रहता है, तथा इसका समापन भव्य विजयादशमी जुलूस के साथ होता है, जिसमें सुसज्जित हाथी, झांकियां और मशाल जुलूस शामिल होते हैं।
विपक्ष ने किया विरोध
कई भाजपा नेताओं ने हिंदू रीति-रिवाजों से शुरू होने वाले एक उत्सव के उद्घाटन में मुश्ताक की भूमिका पर आपत्ति जताई है। विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सीटी रवि ने कहा कि ऐसा व्यक्ति जिसकी आस्था अनिश्चित है, किसी धार्मिक समारोह की अध्यक्षता करना अनुचित है। इस मामले में मैसूर के पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा ने तर्क दिया कि मुश्ताक साहित्यिक आयोजनों की अध्यक्षता तो कर सकती हैं लेकिन उन्हें हिंदू धार्मिक उत्सव का नेतृत्व नहीं करना चाहिए।
उन्होंने पूछा कि अखिल भारत कन्नड़ साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता करना तो ठीक है, लेकिन दशहरा, जो एक हिंदू धार्मिक आयोजन है और जिसकी शुरुआत देवी चामुंडेश्वरी की पूजा से होती है, की अध्यक्षता करना ठीक नहीं है। क्या उन्हें चामुंडेश्वरी देवी में आस्था है? क्या वह हमारी परंपराओं का पालन कर रही हैं?
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स्पष्ट करना चाहिए धार्मिक रुख
निष्कासित भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें अनुष्ठान की अध्यक्षता करने से पहले अपना धार्मिक रुख स्पष्ट करना चाहिए। इस घोषणा से ऑनलाइन सांप्रदायिक टिप्पणियां भी शुरू हो गईं। उडुपी पुलिस ने मुश्ताक के धर्म की आलोचना करने वाले और सरकार पर “हिंदू भावनाओं का अपमान” करने का आरोप लगाने वाले पोस्टों की निगरानी के बाद दो मामले दर्ज किए।
इन पोस्टों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 353(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो समुदायों के बीच दुश्मनी भड़काने वाली झूठी या भड़काऊ सामग्री बनाने या प्रसारित करने पर दंड का प्रावधान करता है। डेक्कन हेराल्ड से बात करते हुए मुश्ताक ने कहा कि वह इस निमंत्रण के लिए आभारी हैं और इसे न केवल अपने लिए बल्कि कन्नड़ साहित्य के लिए भी सम्मान मानती हैं।
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