इस साल पॉक्सो अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 19,039 मामले दर्ज किए गए जो इस वर्ष दर्ज मामलों का करीब एक चौथाई है। इतना ही सबसे अधिक पाक्सो अधिनियम के मामले उत्तर प्रदेश में ही लंबित हैं। वर्ष 2025 में पाक्सो अधिनियम के तहत 80,320 मामले दर्ज किए गए। कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।

मेघवाल ने निचले सदन के सामने एनजेडीजी पर उपलब्ध पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों को प्रदेशवार पेश किए। आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष पॉक्सो अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 19,039 मामले दर्ज किए गए जो इस वर्ष दर्ज मामलों का करीब एक चौथाई है। 11,714 मामलों के साथ महाराष्ट्र दूसरे से स्थान पर रहा। तमिलनाडु में 8,946 मामले, गुजरात में 4,557 मामले और मध्य प्रदेश में 3,973 मामले दर्ज किए गए।

लंबित मामलों में भी यूपी पहले पायदान पर

अगर अदालतों में लंबित मामलों में भी उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। वर्ष 2023 से यहां पर 10,566 पॉक्सो अधिनियम के मामले लंबित हैं। महाराष्ट्र में दो साल से ज्यादा लंबित मामलों की संख्या वर्ष 2023 में 7,962 थी। इसी तरह तमिलनाडु में 1,910 मामले, मध्य प्रदेश में 1,736, असम में 1,693, तेलंगाना में 1,653 और बिहार में 1,079 मामले दो वर्षों से लंबित हैं।

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लंबित मामलों की संख्या कितनी है?

देश में 2023 में दो वर्ष से अधिक लंबित मामलों की संख्या 35,434 थी। लंबित मामलों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लंबित मामलों की संख्या 2022 में 27,303, 2021 में 18,209, 2020 में 13,572, 2019 में 11,047, 2018 में 7,089, 2017 में 4,395, 2016 में 3,206 और 2015 में 189 मामले लंबित थे। यानी वर्ष 2015 से 2023 तक लंबित मामलों की संख्या में 187 गुना से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2025 में पाक्सो अधिनियम के तहत 80,320 मामले दर्ज किए गए। यह आंकड़े दो दिसंबर तक हैं।

2024 में कितने मामले दर्ज किए गए?

अगर पिछले वर्षों की बात करें तो 2024 में 1,22,500, 2023 में 1,19,016, 2022 में 1,11,357 और 2021 में 95,238 मामले पाक्सो अधिनियम के तहत दर्ज किए गए। आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष मामलों की संख्या में एक तिहाई से अधिक की कमी दर्ज की गई है। मंत्री की ओर से प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में 2025 ऐसा वर्ष रहा है जब दर्ज मामलों की संख्या निपटाए गए मामलों की संख्या से कम रही है। वर्ष 2025 में अब तक कुल 87,854 मामलों को निपटाया गया है।

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