छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के लिए एक बड़ा सिरदर्द रहे टीएस सिंह देव को डिप्टी सीएम का ओहदा देकर कांग्रेस हाईकमान ने चुनाव में पार्टी की राह आसान कर दी थी। लेकिन लगता नहीं कि ये फैसला पार्टी को राहत देने वाला है। एक नए नेता ने देव की तरह से सिर उठाना शुरू कर दिया है। गांधी परिवार ने उनको नजरंदाज किया तो छत्तीसगढ़ के आने वाले असेंबली चुनाव में खासी मुश्किलें उठानी पड़ सकती हैं।
2018 में कांग्रेस ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया तो सीएम की रेस में कई सारे नाम थे। इनमें भूपेश बघेल पर गांधी परिवार ने दांव खेला। दूसरे जो नेता सीएम की रेस में शामिल थे उनको कोई न कोई अहम पोर्टफोलियो देकर शांत रखने की भरपूर कोशिश की गई। इनमें से ही एक थे ताम्रध्वज साहू। छत्तीसगढ़ के ओबीसी समुदाय में साहू समाज की बड़ी भागीदारी है। पहले ये बीजेपी के साथ थे लेकिन 2018 में कांग्रेस के पाले में आ गए।
ताम्रध्वज को गृह के साथ तीन और अहम मंत्रालय दिए गए थे
हाईकमान को पता था कि साहू समुदाय को नाराज करना भारी पड़ सकता है। लिहाजा ताम्रध्वज को गृह के साथ तीन और अहम मंत्रालय दिए गए। टीएस सिंह देव को स्वास्थ्य के साथ पंचायत जैसा भारी भरकम महकमा दिया गया तो सीएम पद के एक और दावेदार चरणदास महंत को स्पीकर बनाकर साधने की कोशिश की गई। हालांकि टीएस सिंह देव सारे कार्यकाल के दौरान बघेल के लिए मुश्किलें पैदा करते रहे। चुनाव सिर पर हैं लिहाजा हाईकमान ने टीएस सिंह देव को डिप्टी सीएम की पोस्ट देकर उनके तेवरों को शांत कर दिया लेकिन इसने एक और असंतुष्ट को जन्म दे दिया।
बीजेपी इस बात को बखूबी कैश करने की कोशिश में है। पार्टी की छात्र विंग के नेता अमित साहू कहते हैं कि साहू समाज ने 2018 में कांग्रेस को वोट दिया था, क्योंकि उन्हें लगता था कि ताम्रध्वज सीएम बनेंगे। 2014 की मोदी लहर में ताम्रध्वज ही अकेले ऐसे नेता थे जो लोकसभा का चुनाव जीत सके। 2018 के असेंबली चुनाव में कांग्रेस ने 7 साहू नेताओं को टिकट दिए और उनमें से 4 जीते। जबकि बीजेपी ने 11 को टिकट दिए, जीता केवल एक।
हालांकि साहू समाज के एक नेता कहते हैं कि ताम्रध्वज अब बुजुर्ग हो चुके हैं। वक्त के लिहाज से जरूरी है कि किसी साहू नेता को आगे बढ़ा जाए। इस तबके के नेता को पीसीसी चीफ बनाया जा सकता है। मोहन मरकम का कार्यकाल पीसीसी चीफ के तौर पर वैसे भी पूरा हो रहा है। हालांकि इस सारे बखेड़े में कांग्रेस के लिए एक चीझ अच्छी है कि ताम्रध्वज साहू सीएम भूपेश बघेल के खासे करीबी हैं। यानि बगावत के आसार नहीं हैं।